नई दिल्ली। हालातों से लड़ने के लिए बहाने नहीं हौसले चाहिए होते हैं।जिसने ठान ली हो उसे बस एक मौके की जरूरत होती है मौका मिलते ही वह शख्स शख्सियत में बदल जाता है। ऐसी ही कुछ कहानी है जम्मू कश्मीर की पहली महिला फुटबॉलर नादिया निगहत की।
नादिया के लिए फुटबॉल कोच बनने के लिए रास्ता आसान नहीं था। कर्फ्यू लगने से लेकर लोगों की मानसिकता बदलने की चुनौती सामने थी। नादिया ने इन हालातों को को किक मारकर रास्ते से हटा दिया और सफलता के दहलीज पर आकर खड़ी हुईं। नादिया को ऐसे मौंके पर उनके पिता ने काफी सोपोर्ट किया ।
नादिया खुद बताती हैं कि मैंने स्थानीय कॉलेज जॉइन किया तो 40-50 लड़कों में मैं अकेली लड़की थी। मेरे परिवार और मुझे फुटबॉल यूनिफॉर्म में लड़कों के साथ खेलने को लेकर काफी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। शुरुआत में मेरा परिवार इसके खिलाफ था लेकिन बाद में मेरे पिता ने मुझे बहुत सपॉर्ट किया। इसके बाद मेरे पूरा परिवार मेरे साथ आ गया।'
कर्फ्यू में घर पर करती थी अभ्यास:
नादिया बताती है कि जब भी इलाके में कर्फ्यू होता तो वह किसी भी तरह ट्रेनिंग तक पहुंचे। नहीं पहुंचपाने पर वहघर पर खेलती थी।
रोनाल्डो और मेसी पसंदीदा खिलाड़ी:
नादिया को क्रिस्टियानो रोनाल्डो और लियोनल मेसी काफी पसंद हैं। नादिया फिलहाल महाराष्ट्र के ठाणे में एक स्कूल में फुटबॉल सिखाती हैं। नादिया कहती हैं कि लोगों को अपने बच्चों को उसी क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करें जिसमें बच्चों की रुचि हो।