नई दिल्ली। भारत के महान फुटबॉलर पीके बनर्जी का शुक्रवार को यहां लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। वह 83 वर्ष के थे। बनर्जी के परिवार में उनकी बेटी पाउला और पूर्णा हैं जो नामचीन शिक्षाविद् हैं। उनके छोटा भाई प्रसून बनर्जी तृणमूल कांग्रेस से सांसद हैं। एशियाई खेल 1962 के स्वर्ण पदक विजेता बनर्जी भारतीय फुटबॉल के स्वर्णिम दौर के साक्षी रहे हैं। वह पिछले कुछ समय से निमोनिया के कारण श्वास की बीमारी से जूझ रहे थे।
उन्हें पार्किंसन, दिल की बीमारी और डिम्नेशिया भी था। वह दो मार्च से अस्पताल में लाइफ सपोर्ट पर थे। उन्होंने रात 12 बजकर 40 मिनट पर आखिरी सांस ली। 23 जून 1936 को जलपाईगुड़ी के बाहरी इलाके स्थित मोयनागुड़ी में जन्मे बनर्जी बंटवारे के बाद जमशेदपुर आ गए। उन्होंने भारत के लिए 84 मैच खेलकर 65 गोल किए।
15 साल की उम्र में ही संतोष ट्रॉफी में बिहार का प्रतिनिधित्व किया। 1954 में वो कोलकाता चले गए और बाद में ईस्टर्न रेलवे का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने साल 1955 में राष्ट्रीय टीम में डेब्यू किया और फिर भारतीय टीम की तरफ से 2 ओलंपिक और 3 एशियन गेम्स में हिस्सा लिया।
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जकार्ता एशियाई खेल 1962 में स्वर्ण पदक जीतने वाले बनर्जी ने 1960 रोम ओलिंपिक में भारत की कप्तानी की और फ्रांस के खिलाफ एक - एक से ड्रॉ रहे मैच में बराबरी का गोल किया। वो स्ट्राइकर के तौर पर टीम इंडिया में शामिल थे। इससे पहले वह 1956 की मेलबर्न ओलंपिक टीम में भी थे और क्वॉर्टर फाइनल में ऑस्ट्रेलिया पर 4-2 से मिली जीत में अहम भूमिका निभाई। फीफा ने उन्हें 2004 में शताब्दी ऑर्डर ऑफ मेरिट प्रदान किया था। चोट की वजह से उन्हें भारतीय फुटबॉल टीम से बाहर होना पड़ा था, जिसके बाद साल 1967 में उन्होंने संन्यास ले लिया था।