बीबीसी संवाददाता, दक्षिण अफ़्रीका से
पिछले दिनों ब्राज़ील के पूर्व स्टार खिलाड़ी पेले ने अर्जेंटीना के मौजूदा कोच माराडोना के बारे में कुछ कहा था. तो माराडोना कैसे चुप रहते. ब्राज़ीलियाई प्रेस के मुताबिक़ पेले ने माराडोना के कोच बनाने के फ़ैसले पर सवाल उठाए थे और ये भी कहा था कि माराडोना ने सिर्फ़ पैसे के लिए ये भूमिका स्वीकार की है.
माराडोना ने पेले पर ग़ुस्सा तो निकाला ही, साथ में ये भी कह दिया कि उन्हें इस पर आश्चर्य नहीं हुआ है. माराडोना ने तो यहाँ तक कह डाला कि पेले को म्यूज़ियम में चले जाना चाहिए. माराडोना का ग़ुस्सा पेले तक ही सीमित नहीं था, उन्होंने पूर्व फ़्रांसीसी खिलाड़ी प्लातिनी को भी नहीं छोड़ा था. प्लातिनी ने कुछ समय पहले ये कहा था कि माराडोना अच्छे खिलाड़ी थे, लेकिन वे अच्छे कोच नहीं हो सकते.
इस पर पलटवार करते हुए माराडोना ने कहा, “फ़्रांसीसी होते ही ऐसे हैं. वे अपने से बेहतर किसी को नहीं समझते. माराडोना ने कहा कि उनका प्लातिनी के साथ कभी भी अच्छा रिश्ता नहीं रहा है और सिर्फ़ हाय-हैलो तक ही उनसे बात होती है." अब इस वाकयुद्ध में पेले और प्लातिनी के पलटवार का इंतज़ार कीजिए.
चमत्कार की उम्मीद
उरुग्वे के हाथों मिली करारी शिकस्त के बाद मेज़बान दक्षिण अफ़्रीका पर ग्रुप मैचों के बाद से ही प्रतियोगिता से बाहर होने का ख़तरा मँडराने लगा है. मैच में हार-जीत तो अपनी जगह, लेकिन उन हज़ारों-हज़ार प्रशंसकों के बारे में सोचिए जो अपनी टीम के पीछे पागल हुए पड़े थे.
प्रीटोरिया में हुए मैच के बाद दक्षिण अफ़्रीकी समर्थक निराश हैं. उन्हें लगता है कि अब कोई चमत्कार ही उनकी टीम को दूसरे दौर में पहुँचा सकता है. प्रीटोरिया के मोजेज मबिदा स्टेडियम से निकले दक्षिण अफ़्रीकी समर्थकों के लटके चेहरे से लग रहा था कि उन्हें अपनी टीम की दुर्गति से कितना दुख पहुँचा है.
जिस वुवुज़ेला की ध्वनि को लेकर इतना विवाद चल रहा है, वो मैच में एकाएक शांत सी हो गई थी. वुवुज़ेला किनारे आ गया और सर पर हाथ रखे लोगों को भरोसा ही नहीं हुआ कि उनकी टीम इतना बुरा कैसे खेल रही है. लेकिन चमत्कार की उम्मीद किसे नहीं रहती.
ठंड में भी गज़ब का उत्साह
दक्षिण अफ़्रीका में इस समय कड़ाके की ठंड पड़ रही है. साथ में हवाएँ इतनी तेज़ कि हड्डियों में भी सिहरन पैदा हो रही है. कभी-कभी तेज़ बारिश हालत और भी बदतर कर देती है. लेकिन फ़ुटबॉल प्रेमियों का उत्साह कम नहीं पड़ रहा है. स्टेडियम में दक्षिण अफ़्रीका के मैचों के अलावा भी अन्य मैचों में अच्छी उपस्थिति है. स्टेडियम में जाने वालों की बात तो समझ में आती है, क्योंकि उन्होंने पैसे ख़र्च करके टिकट ख़रीदे हैं.
लेकिन जिनके पास टिकट नहीं हैं, वे भी इस सर्दी में सड़कों पर निकलना नहीं भूलते. सबसे मज़ेदार स्थिति तो फ़ीफ़ा के फ़ैन ज़ोन्स में है. इन फ़ैन ज़ोन्स में बड़े-बड़े स्क्रीन लगाए गए हैं ताकि लोग समूहों में मैच का आनंद ले सकें.
इन्हीं में से एक जोहानेसबर्ग के फ़ैन पार्क में लोग बारिश में भीगते और सर्दी में ठिठुरते मैच देखना नहीं भूलते. और तो और अपनी पसंदीदा टीमों के टी-शर्ट पहनने की होड़ में ये लोग गर्म कपड़े तक नहीं पहनते. ये होता है असल खेल प्रेम...