पिता ने कही ये बात
रानी रामपाल के पिता ने एक टीवी चैनल से बात करते हुए कहा, "मैं यह नहीं मानता कि हमारी टीम हार गई है। ये हमारे लिए जीत है। लड़कियों ने बहुत ही अच्छा खेल दिखाया है। हार जीत तो लगी रहती है। जब रानी रामपाल वापस घर लाैटेगी तो हम उसका भव्य स्वागत करेंगे। निराश होने की जरूरत नहीं है क्योंकि अभी बहुत टूर्नामेंट होंगे और हम जीतते रहेंगे। मेरे लिए ये जीत है।" इसके अलावा रानी के पिता ने सरकार का भी धन्यवाद किया जिन्होंने हमेशा खिलाड़ियों का साथ दिया। उन्होंने कहा, ''हरियाणा सरकार खेलों के लिS बहुत कुछ कर रही है और आगे भी करती रहेगी।''
टांगा चलाते थे पिता
वहीं रानी के भाई ने कहा कि वो इस मैच को सारी उम्र नहीं भूल सकते। बता दें कि रानी एक गरीब परिवार से थीं। कुरुक्षेत्र की रहने वाली रानी रामपाल के पिता टांगा चलाया करते थे तो मां दूसरे घरों में काम करके घर का खर्च चलाती थी। रानी के लिए टोक्यो तक का सफर आसान नहीं रहा। उन्होंने गरीबी से निकलते हुए दुनियाभर में नाम कमाया है। अब उनके परिवार को अपनी बेटी पर गर्व है।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी नौ हरियाणा हॉकी खिलाड़ियों के लिए 50-50 लाख रुपए के पुरस्कार की घोषणा की है, जो टोक्यो ओलंपिक में महिला हॉकी टीम का हिस्सा हैं। खट्टर ने कहा, ''हरियाणा सरकार ओलंपिक महिला हॉकी टीम में शामिल प्रदेश की 9 खिलाड़ियों को 50-50 लाख रुपS नकद पुरस्कार देने का ऐलान करती है।''
इतिहास रचने से चूकी टीम
महिला टीम के पास ओलंपिक में पहला मेडल लाने का माैका था, लेकिन वह इतिहास रचने से चूक गईं। महिला टीम अपना तीसरा ओलंपिक खेल रही थी। 2016 रियो में वह शुरूआती दाैर में हारकर ही बाहर हो गईं थी। वहीं इस बार ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुंचकर भारतीय महिला टीम ने इतिहास रच दिया था। 1980 के बाद महिला टीम को रियो ओलंपिक में खेलने का माैका मिला था, लेकिन तब वह चाैथे नंबर पर रहीं थीं। उस साल बहिष्कार के कारण सिर्फ छह टीमों ने ओलंपिक में हिस्सा लिया था। पहले सेमीफाइनल में, वे तीसरे स्थान की लड़ाई में अर्जेंटीना और फिर ग्रेट ब्रिटेन से हार गए। इसलिए महिलाओं का कांस्य पदक जीतने का सपना चकनाचूर हो गया। भले टीम मेडल लाने से चूक गईं, लेकिन हर स्तर से उनकी सराहना की जा रही है।