नई दिल्ली। भारतीय हॉकी टीम के कॉमनवेल्थ गेम्स में हुए निराशाजनक प्रदर्शन के बाद इस टीम के कोच पद की जिम्मेदारी हरेंद्र सिंह को सौंपी गई थी। उनको यह जिम्मेदारी मिलने के बाद यह आशा जताई जा रही है कि भारतीय टीम शानदार प्रदर्शन करेगी। ऐसे में हरेंद्र सिंह को उम्मीद है कि वह बदली भूमिका यानी सीनियर पुरुष हॉकी टीम के कोच के रूप में टोक्यो ओलिंपिक 2020 में अपना सपना पूरा करने में सफल रहेंगे। हरेंद्र सिंह का मानना है कि कुछ भी असंभव नहीं है और उनकी नजर अब चैंपियंस ट्रॉफी, जकार्ता एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतना ताकि टीम को टोक्यो ओलिंपिक में सीधे प्रवेश मिल सके।
कही दिल छूने वाली बातः भारतीय सीनीयर टीम के हॉकी कोच हरेंद्र ने टीम के चैंपियंस ट्रोफी के लिये नीदरलैंड्स के ब्रेडा रवाना होने से पहले कहा, 'हां, मुझे ओलिंपिक में खेलने का कभी मौका नहीं मिला और मुझे खेद है कि एक खिलाड़ी के रूप में मैं ओलिंपिक में नहीं खेल पाया, लेकिन अब मेरे पास दूसरी भूमिका में इस प्रतियोगिता का हिस्सा बनने का मौका है।' चैंपियंस ट्रोफी 23 जून से एक जुलाई के बीच खेली जाएगी। हरेंद्र को चौथी बार पुरुष टीम का कोच बनाया गया है। गौरतलब हो की कोच के रूप में उन्होंने कई उपलब्धियां हासिल की हैं और वह भारत में एफआईएच प्रमाणपत्र धारक एकमात्र कोच है। उन्होंने कहा कि भारतीय हॉकी के लिए 2018 बेहद महत्वपूर्ण वर्ष है, क्योंकि 3 बड़े टूर्नमेंट खेले जाने हैं। मैं सहमत हूं कि मुझे टीम के साथ बहुत अधिक मौका नहीं मिला लेकिन पहले दिन से ही मेरे लक्ष्य स्पष्ट हैं।
खिलाड़ियों को भी सराहाः खिलाड़ियों के बारे में हरेंद्र सिंह ने कहा कि ये खिलाड़ी मेरे लिए नए नहीं हैं। मैंने एक समय में इन सभी को कोचिंग दी है। वहीं खिलाड़ियों का मुख्य समूह मेरी शैली से अच्छी तरह अवगत है।' हरेंद्र से पूछा गया कि वह उनकी महत्वकांक्षाएं कितनी वास्तविक हैं, उन्होंने कहा, 'कुछ भी असंभव नहीं है और मैं पहले भी इसे साबित कर चुका हूं चाहे वह जूनियर पुरुष टीम हो या महिला टीम।