टीम में किया जबरदस्त बदलाव
जिस वक्त सोर्ड ने टीम की कमान बतौर कोच संभाली उस वक्त टीम की हालत काफी खराब थी, कई वरिष्ठ खिलाड़ी संन्यास ले रहे थे, ऐसे में टीम को नए सिरे से खड़ा करने की बड़ी चुनौती सोर्ड के सामने थी। लेकिन इस चुनौती को सोर्ड ने स्वीकार किया और ना सिर्फ टीम बनाई बल्कि उसे ओलंपिक के सेमी फाइनल्स तक भी पहुंचाया। सोर्ड मारजेन खुद 10 साल तक हॉकी खेल चुके हैं, उन्होंने पुरुष टीम को भी ट्रेनिंग दी है। अहम बात यह है कि सोर्ड एक मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं।
चक दे के कबीर से हो रही तुलना
भारतीय टीम की जीत के बाद सोर्ड की तुलना चक दे फिल्म के शाहरुख खान से हो रही है जोकि फिल्म में महिला हॉकी टीम के कोच हैं और वह टीम को शीर्ष तक लेकर जाते हैं और 70 मिनट का यादगार भाषण देते हैं। ऐसे में जिस तरह से सोर्ड ने टीम इंडिया के हौसलों में उड़ान लगाई उसके बाद उन्हें रीयल लाइफ का कबीर खान कहा जा रहा है। टीम इंडिया की जीत के बाद एक वीडियो सामने आया है जिसमे देखा जा सकता है कि सोर्ड खुशी से चीखते हैं और उनकी आंखों में आंसू हैं।
द्रोणाचार्य पुरस्कार की मांग
खुद टीम की स्टार खिलाड़ी गुरजीत कौर कोच सोर्ड की तारीफ करते हुए कहती हैं कि वह हमेशा पिच पर मदद करने के लिए मौजूद रहते हैं, वो हमसे कहते हैं कि अपनी परेशानियों का हल हमे खुद ढूंढ़ना है। वह हर खिलाड़ी के साथ अलग-अलग तरह से काम करते हैं। सोर्ड के कोच बनने के बाद भारतीय टीम के प्रदर्शन में सुधार देखने को मिला है। भारतीय टीम को जिस तरह से पूरी तरह से सोर्ड ने बदला है उसके बाद उन्हें द्रोणाचार्य पुरस्कार दिए जाने की मांग हो रही है।