नई दिल्ली। टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला ने क्वार्टरफाइनल में आस्ट्रेलिया को 1-0 से मात देकर पहली बार सेमीफाइनल में जगह बनाई। हालांकि महिला टीम के लिए यहां तक पहुंचने का सफर आसान नहीं रहा। लगातार तीन हार के बाद टीम का मनोबल टूट चुका था, लेकिन कोच शोर्ड मारिन ने खिलाड़ियों में हिम्मत भरने की कोई कसर नहीं छोड़ी। नतीजा यह रहा कि टीम अगर-मगर के फेर से पार पाती हुई सेमीफाइनल तक पहुंच गई।
दिखाई थी महिला हाॅकी टीम को फिल्म
भारतीय महिला हॉकी टीम के मुख्य कोच शोर्ड मारिन ने मैच के बाद खुलासा किया कि उन्होंने खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाने के लिए एक फिल्म दिखाई थी। उन्होंने कहा, ''खुद पर भरोसा बनाए रखने और अपने सपनों पर विश्वास कायम करने से अंतर पैदा हुआ। गुजरे हुए समय को ध्यान में रखते हुए वास्तविकता का सामना करने से जुड़ा था। हमने वही किया जो अहम था। अगर आप हार जाते हैं तो खुद पर विश्वास करना नहीं छोड़ना चाहिए। यही बात मैंने लड़कियों को समझाई। मैंने उन्हें एक फिल्म दिखाई और यह फिल्म वर्तमान पल को जीने से जुड़ी थी और मुझे लगता है कि इससे खिलाड़ियों को अपना बेस्ट देने से मदद मिली।'' हालांकि कोच ने फिल्म का नाम बताने से साफ मना कर दिया। उन्होंने कहा, ''मैंने लाॅकडाउन के समय भारत में अपने अनुभवों को लेकर एक किताब लिखी है जिसमें इसका जिक्र किया है।''
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कोच ने आगे कहा, ''मैंने खिलाड़ियों को अपने टारगेट पर फोकस करने के लिए कहा। मैंने कहा कि भारत में आपको ऊंची सोच रखनी चाहिए और यही मैंने लड़कियों से कहा कि अगर आप सर्वोच्च को लक्ष्य बनाते हो, बादल छूने का लक्ष्य बनाते हो तो आप सबसे ऊंचे पर्वत पर गिरोगे और आप पहाड़ को लक्ष्य बनाते हो तो मैदान पर गिरोगे। हमारा लक्ष्य बादलों को छूने का था और मैंने कहा कि इसके बाद जो कुछ होगा वह जरूरी नहीं, हमें अपना टारगेट बनाए रखना है।''
सोर्ड मारिन ने आगे कहा, ''हम यह लक्ष्य लेकर आगे नहीं बढ़ रहे हैं कि पदक लाएंगे। हमारा लक्ष्य भारत में महिलाओं को प्रेरित करने और युवा लड़कियों को प्रेरित करने से जुड़ा है। आप ऐसी टीम ही तैयार करना चाहते हैं। हमारी यही सोच है। यह लक्ष्य खुद आपको मेडल की ओर ले जाता है।