हॉकी के गोल्डन हीरो-
ध्यानचंद का हॉकी में वहीं स्थान हैं जो क्रिकेट में ब्रेडमैन और फुटबॉल में पेले का है। बताया जाता है कि जर्मनी का तानाशाह एडोल्फ हिटलर भी ध्यानचंद की स्टिक के जादू का कायल था और उसने ध्यानचंद से जर्मनी के लिए खेलने की पेशकश भी की थी जिसको ध्यानचंद ने विनम्रता से ठुकरा दिया था। ध्यानचंद खुद भी सिपाही बैकग्राउंड के रहे थे। शुरुआती शिक्षा के बाद वे 16 साल की उम्र में सिपाही के तौर पर भर्ती हो गए थे। बता दें कि ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहाबाद में हुआ था। ध्यानचंद का हॉकी के प्रति रूझान सेना में भर्ती के बाद धीरे-धीरे बढ़ना शुरू हुआ। एक बार हॉकी में प्रवेश करने के बाद ध्यानचंद ने वापस मुड़कर नहीं देखा। उनका सक्रिय खेल जीवन भारतीय हॉकी का गोल्डन पीरियड कहा जाता है।
ध्यानचंद से जुड़ा मजेदार किस्सा-
ध्यानचंद ने तीन तीन ओलंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया और तीनों बार देश को स्वर्ण पदक दिलाया। उनकी स्टिक में जो जादू था उसके बाद कई लोगों को शक होता था कि यह खिलाड़ी हॉकी में चुंबक या गोंद लगाकर खेलता है। मजेदार तथ्य हॉलैंड में एक मैच के दौरान हॉकी में चुंबक होने की आशंका में उनकी स्टिक तोड़कर देखी गई। वहीं जापान में एक मैच के दौरान उनकी स्टिक में गोंद लगे होने की बात भी कही गई। उन्होंने अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में 400 से भी ज्यादा गोल किए थे।
पांच खिलाड़ियों को राजीव गांधी खेल रत्न और 27 खिलाड़ियों को अर्जुन अवॉर्ड दिए जाएंगे
इस बार क्रिकेटर रोहित शर्मा समते महिला रेसलर विनेश फोगाट, टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा, महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल और 2016 के पैरालिंपिक गोल्ड मेडलिस्ट मरियप्पन थांगावेलु को सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न से सम्मानित किया जाएगा।