नई दिल्ली। दिल्ली के ध्यनाचंद स्टेडियम में लहराते तिंरगे और खुशी से चिल्लाते लोगों के पीछे अगर किसी का हाथ है तो वो है भारत मां का बेटा और जांबाज हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह जिनकी हैट्रिक समेत पांच गोलों ने भारत में हॉकी को जिंदा कर दिया और भारत आठ साल के बाद ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर गया। इस जीत ने ना केवल सोये भारतीयों को जगा दिया बल्कि क्रिकेट और महिला हॉकी टीम की नाकामयाबी से मिले जख्मों पर मलहम भी लगा दिया। अब हर किसी की तमन्ना भारत के हॉकी खिलाड़ियों के सीने पर लटकता हुआ गोल्ड मैडल देखने की है। जिस तरह से रविवार को भारतीय टीम ने प्रदर्शन किया, उससे तमन्ना पूरी हो जायेगी, यह कहना हर किसी का है। पूल मैच के दौरान संदीप सिंह ने कुल 16 गोल दागे हैं। संदीप सिंह नेशनल हॉकी टीम के पूर्व कप्तान भी रह चुके हैं और उन्हें पेनाल्टी कार्नर स्पेलिस्ट भी माना जाता है। जिसका नमूना उन्होंने कल के फाइनल मैच में दिखा दिया है। हरियाणा पुलिस विभाग में डीएसपी रैंक पर कार्यरत संदीप सिंह ने कल अपने खेल से हर किसी का मन मोह लिया। साल 1986 में कुरूक्षेत्र में जन्में संदीप सिह ने जनवरी 2004 से अपना इंटरनेशनल करियर शुरू किया था। साल 2004 में कुआलालम्पुर में उन्होंने पहला इंटरनेशनल सुल्तान अजलन शाह कप खेला था। जिसमें शानदार प्रदर्शन के बदौलत साल 2009 में संदीप सिंह को देश की हॉकी टीम का कप्तान बना दिया गया था। स्टार ड्रैग फ्लिकर संदीप सिंह की कप्तानी में भारत ने साल 2009 में अजलन शाह कप खेला था और फाइनल में मलेशिया को मात दी थी। भारत ने इस कप को 13 साल बाद जीता था। इस पूरी सीरिज में भी संदीप सिंह ने ही सबसे ज्यादा गोल किये थे। कल के मैच में भी संदीप ने 28वें, 30वें और 37वें मिनट में मिले पेनाल्टी कार्नर को गोल में बदलकर अपनी टीम की जीत पक्की की। इसके अलावा संदीप ने 49वें और 51वें मिनट में भी पेनाल्टी कार्नर को गोल में बदला। संदीप सिंह की इस मेहनत को सलाम करते हुए उन्हें कल के मैच का हीरो चुना गया। अब सबको उम्मीद है कि भारत की इस जीत का सिलसिला यूं ही चलता रहेगा और भारत लंदन ओलंपिक में भी इसी तरह का करिश्मा करेगा। आज हर भारतीय यही कह रहा है कि चक दे इंडिया..चक दे संदीप सिंह..। #13;