नई दिल्लीः भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने 41 साल बाद ओलंपिक पदक जीतकर इतिहास रच दिया। उन्होंने गुरुवार को कांस्य पदक मैच में जर्मनी को 5-4 से हराकर अपने सुनहरे इतिहास को फिर से खोल दिया।
भारत के कप्तान मनप्रीत सिंह ने ऐतिहासिक हॉकी कांस्य कोविड योद्धाओं और फ्रंटलाइन वर्कर्स को समर्पित किया।
मनप्रीत ने मैच के बाद कहा, "यह पदक हमारे देश के सभी कोविड-19 योद्धाओं और अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं के लिए है।"
भारत के लिए सिमरनजीत सिंह (17वें, 34वें मिनट) ने गोल किया, जबकि हार्दिक सिंह (27वें मिनट), हरमनप्रीत सिंह (29वें मिनट) और रूपिंदर पाल सिंह (31वें मिनट) ने गोल किया।
जर्मनी की ओर से तैमूर ओरुज (दूसरा), निकलास वेलेन (24वें), बेनेडिक्ट फर्क (25वें) और लुकास विंडफेडर (48वें) ने गोल किए।
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भारत हॉकी में आठ बार स्वर्ण विजेता रह चुका है लेकिन ध्यानचंद का यह देश पिछले चार दशकों में हॉकी में दिल दहला देने वाली निराश का सामना कर रहा था। ये पदक एक ऐतिहासिक जीत नहीं बल्कि एक बार फिर से हॉकी गौरव लिखने की नई शुरुआत है।
पदक जीतने के लिए दृढ़ संकल्प, भारतीय टीम ने खेल के इतिहास में सबसे यादगार वापसी की और मैच को अपने पक्ष में करने के लिए 1-3 से पिछड़ने के बाद दनादन गोल दागे। ये ओलंपिक में भारत की लगातार दूसरे दिन अविश्वसनीय वापसी है। इससे पहले रेसलिंग के सेमीफाइनल मैच में भारत के रवि कुमार ऐसा कर चुके हैं।
मनप्रीत सिंह के नेतृत्व में और ऑस्ट्रेलियाई ग्राहम रीड द्वारा ट्रेन्ड भारतीय टीम की आंखों में आंसू थे, सबने ऐतिहासिक क्षण का आनंद लिया।
यह ओलंपिक के इतिहास में भारत का तीसरा हॉकी कांस्य पदक है। अन्य दो 1968 मेक्सिको सिटी और 1972 म्यूनिख खेलों में आए थे। ये टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारत का 5वां पदक है। ओलंपिक में भारत का अभी का बेस्ट प्रदर्शन (मेडल की संख्या के मामले में) लंदन गेम्स 2012 में रहा है जब हमको 6 मेडल मिले थे। इस बार यह रिकॉर्ड टूट सकता है।