टोक्यो: कांस्य पदक के लिए भारतीय पुरुष हॉकी का मुकाबला जर्मनी से हुआ, जहां पर टीम इंडिया ने अपने स्वर्णिम इतिहास को फिर से लिखते हुए 41 साल बाद अपना ओलंपिक मेडल जीत लिया। 1980 में भारत ने गोल्ड जीता था, तब से हॉकी का स्तर भारत में पहले जैसा नहीं रहा और हम ओलंपिक मेडल के लिए केवल इंतजार करते रहे। लेकिन अब फिर से वही क्रेज, वही जादू एक बार फिर से नजर आने लगा है। भारत ने कांस्य पदक के इस मुकाबले में जर्मनी को 5-4 से मात दे दी।
यह मैच हाई वोल्टेज ड्रामा रहा और जिस तरह से 4 अगस्त को पहलवान रवि कुमार ने जबरदस्त वापसी की थी, वैसा ही कमाल भारतीय हॉकी टीम ने दिखा दिया जिसके चलते यह मेडल और भी शानदार हो गया है। एक समय 1-3 से पिछड़ रही भारतीय टीम ने बेहतरीन तरीके से मैच फिनिश करके दिखा दिया।
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मैच की शुरुआत भारत के लिए खराब रही क्योंकि शुरुआती डेढ़ मिनट के अंदर की जर्मनी ने पेनाल्टी कॉर्नर के जरिए गोल करके टीम इंडिया को 0-1 से पीछे कर दिया। लेकिन उसके बाद भारत की ओर से शानदार जवाबी हमला देखने को मिला और जल्द ही एक पेनाल्टी कॉर्नर भी जुटा लिया, हालांकि यह गोल में तब्दील नहीं हो सका। भारत को यह भारी पड़ा क्योंकि जर्मनी ने फिर शानदार डिफेंस दिखाया और पहला क्वार्टर हॉकी इंडिया के खिलाफ रहा। इस दौरान सर्कर पेनिट्रेशन में 6 बार जर्मनी गया जबकि भारत केवल 2 बार ही ऐसा कर पाया।
जर्मनी ने पहले क्वार्टर की शुरुआत अटैक से की थी और अंत भी ऐसे किया। पेनाल्टी कॉर्नर के चलते लंबे खिंचे पहले क्वार्टर में जर्मनी 1-0 से आगे रहा।
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लेकिन यह दूसरे क्वार्टर की शुरुआत थी जो भारत को मनमांगी मिल गई। सिमरनजीत ने 1-1 से बराबरी की और कोच ग्राहम रीड डगआउट में खुशी से उछल पड़े। यहां भारत के लिए मैच खुल गया। लेकिन यह खुशी ज्यादा देर तक टिक नहीं सकी। जर्मनी का अटैक जारी रहा और उनको इसका फायदा मिला। एक और गोल भारत के खिलाफ करते ही जर्मनी 2-1 से आगे हो गया।
दूसरा क्वार्टर का रोमांच यहीं पर ही समाप्त नहीं हुआ क्योंकि जर्मनी का जबरदस्त प्रदर्शन जारी रहा और लगातार अटैक की कोशिश कर रही इस टीम को खुद भारतीय खिलाड़ियों ने गोल करने का मौका दे दिया। कमाल की गोल स्किल दिखाते हुए भारतीय खिलाड़ी से गेंद छीनकर पलक झपकते ही गोल कर दिया गया और जर्मनी 3-1 से आगे. हो गया। इसके तुरंत बाद भारत को पेनाल्टी कॉर्नर मिला जो हार्दिक सिंह द्वारा गोल में तब्दील हो गया और फिर एक पेनाल्टी कॉर्नर मिला और इस बार स्कोर बराबर हो गया। ये हरमनप्रीत का बेहतरीन गोल रहा। इसके साथ ही एक्शन से भरपूर दूसरा क्वार्टर समाप्त हो गया।
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तीसरा क्वार्टर फिर से शुरू में गोल लेकर आया। यहां भारत को पेनाल्टी स्ट्रोक मिला जिस पर रूपिंदर सिंह ने चौथा गोल ठोक दिया है। इस गोल ने कांस्य पदक मैच में भारत को 4-3 से आगे कर दिया।
लेकिन यह सिमरनजीत का अगला गोल था जिन्होंने गजब का फील्ड गोल करके भारत की लीड को 5-3 कर दिया। इसके साथ ही तीसरा क्वार्टर पूरी तरह भारत के पक्ष में समाप्त हो गया।
लेकिन कांस्य पदक इतना आसान नहीं था क्योंकि चौथा क्वार्टर फिर से तुरंत गोल लेकर आया। ऐसा लगातार चौथे क्वार्टर में हुआ और जर्मनी ने एक गोल करके भारत की लीड 5-4 कर दी। भारत को गोल करने का एक आसान मौका भी मिला लेकिन मनदीप उसको गोल में तब्दील नहीं कर पाए।
मैच के अंतिम क्षण भी सांसे ऊपर-नीचे करने वाले रहे। 3 मिनट से भी कम समय शेष रहते हुए जर्मनी ने पेनाल्टी कॉर्नर हासिल किया लेकिन भारत को उस पर गोल नहीं खाया। इसके बाद जर्मन खिलाड़ियों को मौका नहीं दिया गया और 41 साल बाद भारतीय खेलों में हॉकी ने फिर से अपनी वापसी दर्ज करा दी।