नई दिल्ली। पंजाब के जालंधर जिले में स्थित मीठापुर गांव को भारतीय हॉकी का गढ़ माना जाता है। इस गांव ने भारतीय हॉकी टीम में कई दिग्गज खिलाड़ियों को दिया है जिन्होंने न सिर्फ राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बल्कि ओलंपिक में जाकर भारत को पदक जीतने में अहम योगदान दिया है। इसमें 1952 की हेंसिकी ओलंपिक्स की भारतीय टीम के खिलाड़ी स्वरूप सिंह, 1972 ओलंपिक्स के खिलाड़ी कुलवंत सिंह, 1988, 1992 और 1996 ओलंपिक्स में भारतीय टीम का हिस्सा रहे प्रगट सिंह का नाम भी शामिल है। इतना ही नहीं गुरुवार को टोक्यो में जिस भारतीय टीम ने 41 सालों से ओलंपिक पदक जीतने के सूखे को मिटाया उस हॉकी टीम के भी 3 खिलाड़ी इसी गांव की देन है।
और पढ़ें: IND vs ENG: एंडरसन ने की अनिल कुंबले के सबसे बड़े रिकॉर्ड की बराबरी, नॉटिंघम के मैदान पर रचा इतिहास
भारतीय हॉकी टीम ने गुरुवार को बेल्जियम के खिलाफ मिली सेमीफाइनल की हार को भुला कर जर्मनी के खिलाफ ब्रॉन्ज मेडल मैच में कदम रखा। भारतीय टीम ने इस बेहद रोमांचक मैच में अपना सब कुछ झोंक दिया और जर्मनी के खिलाफ 5-4 की जीत हासिल कर 41 सालों बाद हॉकी में पहला पदक हासिल किया।
मौजूदा भारतीय टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह, फारवर्ड मनदीप सिंह और डिफेंडर वरूण सिंह भी मीठापुर गांव के उन खिलाड़ियों की फेहरिस्त में शामिल हो गये हैं जिन्होंने ओलंपिक में देश का प्रतिनिधित्व किया है। कप्तान मनप्रीत सिंह साल 2012 और 2016 के ओलंपिक खेलों में भी भारतीय टीम के लिये खेल चुके हैं लेकिन देश के लिये पदक जीतने का सपना इसी बार साकार हो सका है। इस जीत के बाद भारतीय कप्तान मनप्रीत सिंह की मां मंजीत कौर ने पूरी हॉकी टीम की जमकर तारीफ की है।
उन्होंने कहा,'मनप्रीत ने इस जीत के लिये बहुत मेहनत की है। वह हर रोज सुबह जल्दी उठकर 6 बजे ही स्टेडियम जाता था और 10 बजे तक वापस लौटता था। वो कहते हैं न कि मेहनत को कोई भी विकल्प नहीं होता, तो आज उसकी मेहनत कामयाब हो गई।'
उल्लेखनीय है कि मनप्रीत ने महज 7 साल की उम्र में हॉकी खेलना शुरू कर दिया था और जब वो 11 साल के थे तो हॉकी खेलने के लिये लखनऊ चले गये थे। महज 20 साल की उम्र में मनप्रीत ने पहली बार भारत को 2012 के लंदन ओलंपिक्स में रिप्रजेंट किया।
उनकी मां ने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा,'मनप्रीत के दोस्त मुझसे कहा करते थे कि एक दिन मैं उसे टीवी पर हॉकी खेलते हुए देखेंगी। अब मैं उसे टीवी पर हॉकी खेलते हुए देख रही हूं। मैंने उसे जाने से पहले सिर्फ गुड लक कहा था और कहा था कि वापस आते हुए मेडल ले आना। मेरे लिये यह ब्रॉन्ज मेडल ओलंपिक के गोल्ड से भी बड़ा है।'
गौरतलब है कि मनप्रीत सिंह ने भारत और जर्मनी के बीच खेले जाने वाले ओलंपिक ब्रॉन्ज मेडल से पहले अपनी मां को सुबह फोन कर आशीर्वाद लिया था। मनप्रीत सिंह की मां ने पूरा मैच एक हॉकी स्टिक पकड़कर देखा, जिसको लेकर उन्होंने बाद में कहा कि इस हॉकी स्टिक का ही यह कमाल है कि वो आज यहां तक पहुंच सका है। अब उसके वापस आने पर मनप्रीत सिंह के दोस्त, रिश्तेदार और पड़ोसियों ने जश्न मनाने का प्लान बनाया है।