तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
For Quick Alerts
ALLOW NOTIFICATIONS  
For Daily Alerts

कभी फटे जूतों में प्रैक्टिस करने जाती थी हॉकी स्टार नेहा, अब ओलंपिक में रच रही इतिहास

Tokyo olympics
Photo Credit: PTI

नई दिल्ली। जापान की राजधानी टोक्यो में खेले जा रहे ओलंपिक गेम्स में जहां पुरुष हॉकी टीम ने 4 दशक से चले आ रहे पदक के सूखे को मिटाया तो वहीं पर महिला हॉकी टीम ने भी इतिहास रचते हुए पहली बार ओलंपिक खेलों के सेमीफाइनल में पहुंची और जबरदस्त प्रदर्शन किया। भारतीय महिला टीम की कई खिलाड़ियों ने यहां तक आने के लिये बेहद मुश्किल सफर तय किया है जिसमें एक नाम भारतीय टीम की मिडफील्डर नेहा गोयल का है जो कि देश भर की खिलाड़ियों के लिये एक प्रेरणा हैं।

और पढ़ें: ओलंपिक में पहली बार भारत को गोल्फ में मिल सकता है पदक, अदिति अशोक का शानदार प्रदर्शन जारी

उनकी कहानी आत्मविश्वास, दृढ़ संकल्प और मुश्किल चुनौतियों से निकलकर ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने तक की प्रेरणा से भरी है, जहां पर प्रैक्टिस करने के लिये उन्हें हर रोज फटे जूतों में 10 किमा पैदल चलना पड़ता था। इतना ही नहीं फिट रहने के लिये नेहा गोयल को सही तरह की डाइट भी नहीं मिल पाती थी इसके बावजूद उन्होंने सबसे उबरकर देश के लिये खेलने के अपने सपने को साकार किया।

और पढ़ें: 'शायद अब बदल जाये देश में हॉकी की हालत', ओलंपिक में ब्रॉन्ज जीतने पर रोये रूपिंदर सिंह

फटे हुए जूतों में जाती थी अभ्यास करने

फटे हुए जूतों में जाती थी अभ्यास करने

नेहा गोयल का जन्म हरियाणा के सोनिपत में रहने वाले एक बेहद गरीब परिवार में हुआ था, जिनके पिता एक शराबी थे और उनकी मां को घर चलाने के लिये फैक्ट्री में जाकर काम करना पड़ता था। ऐसी मुश्किल परिस्थितियों में नेहा को अभ्यास करने के लिये अक्सर फटे हुए जूतों में जाना पड़ता था। ऐसे हालत में उनका कभी भी देश के लिये ओलंपिक में खेल पाना ऐसा सपना लगता था जिसका साकार होना आसान नजर नहीं आता था।

माईखेल के साथ बात करते हुए जब नेहा से उनके पुराने दिनों के बारे में पूछा गया था तो उन्होंने कहा था,' मुझे कभी भी खाने के लिये सही से खुराक नहीं मिल पाती थी और मेरे जूते भी अक्सर फटे हुआ करते थे। मेरा पिता काफी शराब पीते थे और अक्सर घर नहीं लौटते थे और अगर घर आते भी थे तो मेरी मां के साथ मारपीट करते थे। हम उनसे काफी डरते थे। मैं 5वीं क्लास में थी जब मेरी सहेली ने बताया कि अगर मैं हॉकी खेलती हूं तो मुझे जूते और किट मिलेगी। मैंने अपनी मां को इस बारे में बताया तो उन्होंने मुझे खेलने के लिये कहा और तब मैंने खेलना शुरू किया।

बैंड, बाजा और डीजे के साथ इंतजार कर रहे हैं घरवाले

बैंड, बाजा और डीजे के साथ इंतजार कर रहे हैं घरवाले

वहीं ओलंपिक में अपनी बेटी को टीवी पर खेलते हुए देख कर नेहा की 50 वर्षीय मां सावित्री देवी की आंखों में खुशी के आंसू आ गये। अपनी आंखों में खुशी के आंसू लिये उन्होंने एक इंडिया टुडे टीवी चैनल से बात करते हुए कहा कि मेरे पूरे परिवार में मेरी बेटी को छोड़कर कोई भी आज तक विदेश नहीं गया है और वो भी भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए। मेरी बेटी पर मुझे गर्व है। मैं उनका स्वागत करने के लिये बैंड बाजा और डीजे लेकर तैयार रहूंगी।

उन्होंने आगे कहा,'वो एक लड़की है और हमारे समाज में लड़कियों के देर से घर आने पर आप जानते हैं कि लोग कैसी बातें करते हैं लेकिन मुझे पता था कि मेरी बेटी कितनी फोकस थी, वह कुछ दिन तो अभ्यास करके रात के 8 बजे तक घर आती थी, लेकिन मैंने सिर्फ उसका हौंसला बढ़ाया और उसकी काबिलियत पर भरोसा जताया।'

रिश्तेदारों को पागल लगती थी नेहा गोयल

रिश्तेदारों को पागल लगती थी नेहा गोयल

नेहा की मां ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि उनके चाचा श्याम सुंदर ने उनकी वापसी के बाद एक बड़ी दावत देने की तैयारी की है। आपको शायद विश्वास नहीं होगा लेकिन यह सच है कि नेहा ने अपनी बहन की शादी तक नहीं अटैंड की क्योंकि उसे एक मैच खेलना था। हमारे ज्यादातर रिश्तेदारों को लगता था कि वो शायद पागल है क्योंकि वो सारा दिन सिर्फ हॉकी के बारे में ही सोचा करती थी और बात किया करती थी। हमारा सारा परिवार उनकी सफलता की कामना कर रहा है और प्रार्थना कर रहा है।

बचपन की कोच ने सुनाई पहली मुलाकात की कहानी

बचपन की कोच ने सुनाई पहली मुलाकात की कहानी

गौरतलब है कि हरियाणा पिछले कुछ समय में देश के हॉकी खिलाड़ियों का गढ़ बनता जा रहा है और विश्व स्तरीय खिलाड़ी दे रहा है। भारतीय महिला टीम के 16 खिलाड़ियों में से 9 हरियाणा के 4 शहरों शाहबाद, सौनीपत, सिरसा और हिसार से आते हैं। नेहा के दिन की शुरुआत सुबह 4 बजे से होती थी जिसमें वह 12-3 बजे का ब्रेक लेती थी और फिर शाम 8 बजे तक ट्रेन करती थी।

उनके बचपन के कोच प्रीतम सिवच ने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा,'नेहा के साथ मुलाकात की मेरी यादें काफी धुंधली हैं। वह ग्रिल के कोनों से झांक रही थी, जब वो अंदर आई तो मैंने उससे पूछा कि क्या वो हॉकी खेलना चाहती है तो उसने हां में जवाब दिया। जब मैंने उससे छोटी उम्र के खिलाड़ियों की टीम के साथ खेलने भेजा तो उससे मुझे मिक्सड रिस्पॉन्स मिला। जब मैंने उसे खेलते हुए देखा तो मैंने उसकी रस्सी कूदने की काबिलियत को देखा तभी मैंने अपने पति को कहा कि वो एक दिन बड़ी खिलाड़ी बनेगी।'

Story first published: Friday, August 6, 2021, 3:18 [IST]
Other articles published on Aug 6, 2021
POLLS
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Yes No
Settings X