लड़कों के साथ खेलती थी सविता पूनिया
सविता ऑस्ट्रेलिया के सामने एक दीवार बनकर खड़ी हो गईं थी। उन्होंने टीम की तरफ से सबसे ज्यादा योगदान दिया। अगर यह कहें कि जीत में सबसे बड़ा रोल सविता का रहा तो गलत नहीं। अगर ऑस्ट्रेलिया पेनल्टी में 7 में से 2 या 3 गोल करने में भी सफल हो जाता था तो भारत के लिए मैच जीतना बेहद मुश्किल हो जाता था, लेकिन यह सविता ही थीं जिन्होंने उनकी हर कोशिश को नाकाम कर दिया। ड्रैग फ्लिक शॉट रोकने के लिए सविता ने लड़कों के साथ खूब अभ्यास किया था। इसका खुलासा सविता के पिता महेंद्र सिंह पूनिया ने किया। उन्होंने कहा कि समय मिलने पर सविता लड़कों के साथ खेलकर प्रैक्टिस करती थी। लड़के पावर के साथ ड्रैग फ्लिक शॉट मारते थे, उन्हें रोकने के लिए काफी ताकत लगानी पड़ती थी।
खुशी में झूमा पूरा परिवार
सविता जब मैच में भारत को जीत दिलाने के लिए जान लगा रहीं थी जब उनका परिवार भी लाइव मैच देख रहा था। हरियाणा के सिरसा जिले के गांव जोधकां में सविता के पिता महेंद्र सिंह पूनिया, मां लीलावती, दादी उमा देवी, भाई अशोक, बहन किरण व मंजू, भतीजे रवि सिंह ने मैच का आनंद उठाया। टीम की जीत पर पूरा परिवार खुशी में झूम उठा। उन्होंने मिठाई बांटकर खुशी जाहिर की। बेटी के प्रदर्शन पर पिता महेंद्र ने कहा, ''पूरी टीम ने अच्छा खे दिखाया। बेटी सविता जैसे ही पेनल्टी रोक रही थी इससे टीम को काफी फायदा पहुंचा। बेटियों को लोग बेटों की तरह ही प्यार दें तो बेटियां बहुत कुछ कर सकती है।''
पहले फुल बैक खेलती थी सविता
2018 में हॉकी के लिए अर्जुन पुरस्कार हासिल कर चुकीं सविता पुनिया टीम की उपकप्तान भी हैं। उनके कोच आजाद सिंह मलिक ने बताया कि सविता पहले फुल बैक खेलती थी, तब पुराने कोच सुंदर सिंह खर्ब ने सविता को खेलते हुआ देखा और उसे कहा कि तुम गोल कीपर ज्यादा अच्छी बन सकती हो। फिर तभी से सविता की सफलता का दौर शुरू हो गया। सविता ने इंडिया टुडे को बताया, "रियो में हमारा अनुभव बहुत अच्छा नहीं था। बड़े टूर्नामेंट में खेलने का अनुभव सीमित था।" सविता ने कहा, "रियो अतीत की बात हो गई थी और हमारा लक्ष्य टोक्यो से पदक जीतकर वापसी करना है। इस टीम को अपने आप पर भरोसा है। यह टीम किसी भी बड़ी टीम को हरा सकती है। अब हमारे मन में कोई डर नहीं बचा है।"