भारत के माता-पिता अन्य खेलों को लेकर हुए जागरुक-
भारत ने एक गोल्ड, दो सिल्वर और चार ब्रॉन्ज मेडल जीतते हुए कुल 7 पदक हासिल किए जो लंदन 2012 ओलंपिक्स में उनके द्वारा लिए गए 6 पदों से बेहतर हैं। केवल नीरज चोपड़ा ही नहीं, बल्कि 41 साल के बाद भारतीय हॉकी टीम ने मेडल जीतने में कामयाबी हासिल की जिसने क्रिकेट से इतर अन्य खेलों में देश में एक क्रेज पैदा किया। इंडिया टुडे के अनुसार एक सर्वे किया गया है जो लोकल सर्कल में जारी हुआ जिसमें यह सामने आया कि 71% भारतीय माता-पिता ने क्रिकेट से हटकर भी अपने बच्चों के लिए बाकी खेलों में करियर ऑप्शन पर सहमति और सपोर्ट देने का इरादा जताया है।
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ओलंपिक में भारत के प्रदर्शन ने बदला रूख-
हालांकि अभी भी 19% माता-पिता इस सर्वे में ऐसे थे जिन्होंने कहा कि वे अपने बच्चे को स्पोर्ट्स में करियर नहीं बनाने देंगे। जबकि 10% ऐसे लोग थे जिनकी कोई राय ही नहीं थी। सर्वे में जो सवाल पूछा गया उस पर 8000 से अधिक प्रतिक्रियाएं आई थी। देश में ओलंपिक होने के बाद किस तरह से रुझान बदला है इसकी बानगी आप इसी से समझ सकते हैं कि रियो ओलंपिक में जब भारत ने घटिया प्रदर्शन किया था तब केवल 40% माता-पिता का ही यह कहना था कि वे अपने बच्चे को क्रिकेट से हटकर खेल अपनाने में सहयोग करेंगे। रियो ओलंपिक में केवल दो ही मेडल आए थे। लेकिन अब परिस्थितियां काफी तेजी से बदली है भारत ने टोक्यो ओलंपिक में अपना सबसे बड़ा दल भेजा था जिसमें 128 एथलीट्स थे।
पीवी सिंधु के लगातार दूसरे मेडल ने भी लड़कियों में बैडमिंटन के प्रति रूझान पैदा करने में काफी अहम भूमिका अदा की है। इतना ही नहीं महिला हॉकी टीम भी टोक्यो ओलंपिक में चौथे स्थान पर रही जो उनकी अभी तक की बेस्ट परफॉर्मेंस है।
चानू की बनाई ओलंपिक लहर को नीरज ने सुनामी बना दिया-
इस बार देश के लीडरों ने भी जिस तरीके से ओलंपिक में गए भारतीय खिलाड़ियों के प्रति जागरूकता और रुचि दिखाई उसने भी आम माता-पिता का ध्यान खींचा। जब मीराबाई चानू ने 49 किलोग्राम वेट लिफ्टिंग में सिल्वर मेडल जीता तभी देश में एक ओलंपिक लहर पैदा हो गई थी। चानू ने पहले ही दिन यह कारनामा कर दिया था। इसके बाद लवलीना ने बॉक्सिंग में पदक पक्का किया और फिर पीवी सिंधु ने बैडमिंटन ने बैडमिंटन में ब्रॉन्ज मेडल जीता और देश के खेलों में लड़कियों के योगदान की जबरदस्त सराहना हुई।
इसके बाद लड़कों की बारी थी, जहां रवि दहिया ने 57 किलोग्राम फ्रीस्टाइल रेसलिंग में सिल्वर मेडल लिया और लड़कों का खाता खोला। इसके बाद बजरंग पुनिया ने 65 किलोग्राम फ्रीस्टाइल में ब्रॉन्ज मेडल जीता। 7 अगस्त को नीरज चोपड़ा ने भारत के टोक्यो ओलंपिक के अंतिम अभियान को गोल्डन भला फेंककर अमर कर दिया।