नई दिल्ली। भारत की पहली एथलेटिक्स विश्व चैंपियनशिप पदक विजेता अंजू बॉबी जॉर्ज ने इतिहास रच दिया है। उन्हें विश्व एथेलेटिक्स द्वारा 'वुमेन ऑफ द ईयर' पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार अंजू को खेल जगत में उनके अहम योगदान को देखते हुए दिया गया। अंजू आईएएएफ विश्व एथलेटिक्स फाइनल्स (मोनाको 2005) की गोल्ड मेडलिस्ट विजेता और अपने शानदार करियर के दौरान लगातार अच्छा प्रदर्शन करने वाली देश की सबसे प्रेरणादायी ट्रैक एवं फील्ड स्टार हैं।
विश्व एथेलेटिक्स ने बयान देते हुए कहा, "पूर्व अंतरराष्ट्रीय लंबी कूद खिलाड़ी भारत की अंजू बॉबी जॉर्ज अभी भी खेल से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने 2016 में युवा लड़कियों के लिए प्रशिक्षण अकादमी खोली। यहां से विश्व अंडर 20 मेडल विजेता खिलाड़ी निकली हैं। भारतीय एथलेटिक्स महासंघ की सीनियर उपाध्यक्ष होने के नाते वह लगातार महिलाओं के लिए काम करती आई हैं।" 44 साल की अंजू ने साल 2016 में युवा लड़कियों के लिए अकादमी खोली थी।
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बड़ा सम्मान हासिल करने पर अंजू ने ट्वीट करते हुए खुशी जाहिर की। उन्होंने लिखा, "सुबह उठकर खेल के लिए कुछ करने से बेहतर अहसास कुछ नहीं है। मेरे प्रयासों को सराहने के लिए धन्यवाद।" अंजू ने अपने पति रॉबर्ट बॉबी जार्ज से कोचिंग ली थी। इसके बाद उनका करियर नई ऊंचाईयों पर जा पहुंचा। अंजू ने ओलिंपिक 2004 में छठा स्थान अर्जित किया था। उन्होंने तब 6.83 मीटर की कूद लगाई थी। फिर अमेरिका की मरियन जोन्स को डोपिंग आरोपों के कारण अयोग्य घोषित हुई जिसके कारण अंजू को 2007 में पांचवां स्थान हासिल हुआ। अंजू स्कूली छात्राओं का भी खेल को लेकर मार्गदर्शन करती हैं। अंजू वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में मेडल हासिल करने वाली भारत की पहली और इकलौती एथलीट हैं। उन्होंने साल 2003 में इस प्रतिष्ठित चैंपियनशिप के लॉन्ज जंप स्पर्धा में ब्रॉन्ज मेडल जीता था।