नई दिल्ली। अंशु मलिक ने बुधवार को कुश्ती विश्व चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनकर इतिहास रच दिया। उन्होंने 57 किग्रा वर्ग में जूनियर यूरोपीय चैंपियन सोलोमिया विन्नीक को हराया। मौजूदा एशियाई चैंपियन 19 वर्षीय अंशु ने शुरू से ही सेमीफाइनल पर कब्जा जमाया और तकनीकी श्रेष्ठता से जीत हासिल कर इतिहास की किताबों में अपना नाम शुमार किया। अभी तक कुश्ती विश्व चैंपियनशिप में चार भारतीय महिला पहलवान पदक जीत पाए हैं। गीता फोगट (2012), बबीता फोगट (2012), पूजा ढांडा (2018) और विनेश फोगट (2019) ने कांस्य पदक जीता है।
अंशु के पास 2010 में सुशील कुमार के बाद विश्व चैंपियन बनने वाले केवल दूसरे भारतीय पहलवान बनने का मौका है। अंशु ने फाइनल में पहुंचने के बाद कहा, "यहां तक पहुंचना बहुच अच्छा है। मैं बहुत खुश हूं। जो मैं टोक्यो खेलों में नहीं कर पाई थी वो मैंने यहां किया। मैंने हर मुकाबले को अपनी आखिरी लड़ाई के रूप में लड़ा है।'' अंशु टोक्यो ओलंपिक में पहले दौर की बाउट और बाद में रेपेचेज में हार गई थी। उन्होंने कहा, ''टोक्यो खेलों के बाद का महीना बहुत मुश्किल था। मैं खेलों में जैसा चाहती थी वैसा प्रदर्शन नहीं कर सकी। मुझे एक चोट (कोहनी) का सामना करना पड़ा और यह नहीं बता सकती कि मैंने विश्व चैंपियनशिप से एक महीने पहले कितना दर्द महसूस किया था।''
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उन्होंने कहा, "मैंने यहां तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की, मैं अपना 100 प्रतिशत देना चाहती थी और अपने आखिरी मुकाबले की तरह फाइनल लड़ूंगी।" अंशु टोक्यो ओलंपिक में पहले दौर की बाउट और बाद में रेपेचेज में हार गई थी। अंशु बिशंबर सिंह (1967), सुशील कुमार (2010), अमित दहिया (2013), बजरंग पुनिया (2018) और दीपक पुनिया (2019) के बाद वर्ल्ड्स गोल्ड मेडल मैच में जगह बनाने वाले छठे भारतीय बने। अंशु की जीत ने इस आयोजन के इस संस्करण से भारत का पहला पदक भी सुनिश्चित किया।