नई दिल्ली। 18वें एशियन गेम्स में भारत का प्रदर्शन शानदार रहा। भारतीय खिलाड़ियों ने विश्व पटल पर अपना लोहा मनवाया। भारत का इस संस्करण में जैसा प्रदर्शन रहा है वह वाकई काबिले तारीफ है। भारतीय खिलाड़ियों ने अपने दमदार प्रदर्शन के दम पर भारत की झोली में कुल 15 गोल्ड मेडल डाले।यह एशियन खेलों में भारत का अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन है। 1951 में भी भारत ने इतने ही स्वर्ण जीते थे। एशियाई खेलों का 18वां संस्करण भारत के लिए इस लिए भी खास है क्योंकि भारत ने एशियाई खेल के इतिहास में अबतक सबसे ज्यादा पदक जीते हैं।
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भारत का पुराना रिकॉर्ड:
भारत ने 15 स्वर्ण, 24 रजत और 30 कांस्य के साथ कुल 69 पदक जीते जबकि अपनी मेजबानी मेंभारत ने पहली साल 15 स्वर्ण, 16 रजत और 20 कांस्य के साथ कुल 51 पदक जीतकर तालिका में दूसरा स्थान हासिल किया था। कुल पदकों के मामले में भी भारत ने 2010 एशियाई खेलों के अपने प्रदर्शन को ही पीछे छोड़ दिया। चीन के ग्वांगझू में हुए 2010 एशियाई खेलों में भारत ने कुल 65 पदक जीते थे।
एथलेटिक्स में सबसे ज्यादा पदक:
18वें एशियाई खेल में भारत को एथलिटों ने सबसे ज्यादा पदक दिलाए। एथलीटों ने सबको चौंकाते हुए सात स्वर्ण, 10 रजत और दो कांस्य के साथ कुल 19 पदक अपने नाम किए। भारत ने पुरुष 800 मीटर, पुरुष 1500 मीटर, पुरुष गोला फेंक, पुरुष भाला फेंक, पुरुषों के तिहरी कूद, महिलाओं की 4 गुणा 400 मीटर रिले, महिला हेप्टाथलान में स्वर्ण हासिल किए।
तेजेंदरपाल सिंह तूर का डंका:
गोला फेंक में तेजेंदरपाल सिंह तूर ने एशियाई रिकार्ड के साथ भारतीय तिरंगा फहराया। वहीं, निशानेबाजी में भारत को काफी उम्मीदें थीं। भारतीय निशानेबाजों ने निराश नहीं करते हुए भारत की झोली में दो स्वर्ण, चार रजत और तीन कांस्य के साथ कुल नौ पदक डाले।
कुश्ती में निराशा:
कुश्ती में शेर साबित रही भारतीय टीम को सबसे ज्यादा निराशा हाथ लगी।इस खेल में खिलाड़ी केवल दो स्वर्ण और एक कांस्य पदक ही जीत पाए। इसके अलावा ब्रिज, नौकायन और टेनिस की विभिन्न स्पर्धाओं में भारत ने एक स्वर्ण और दो कांस्य के साथ कुल तीन-तीन पदक हासिल किए। भारतीय मुक्केबाज का भी प्रदर्शन उम्मीदों पर खरा नहीं रहा। भारत एक स्वर्ण और एक कांस्य पदक ही जीत पाया, 14वें दिन अमित पंघल ने भारत को एकमात्र स्वर्ण दिलाया।
तीरंदाजी और घुड़सवारी में पदक:
भारत को तीरंदाजी में पदक की उम्मीद तो थी ही लेकिन में पदक मिलना आश्चर्यनक रहा। घुड़सवारी में दो और तीरंदाजी में भी भारत को दो रजत पदक मिले। स्क्वॉश की विभिन्न स्पर्धाओं में भारतीय खिलाड़ियों की चुनौती शानदार रही लेकिन भाग्य ने साथ नहीं दिया। उन्हें एक रजत और चार कांस्य पदक के साथ ही संतोष करना पड़ा। सेलिंग में भारतीय खिलाड़ियों ने अप्रत्याशित प्रदर्शन करते हुए एक रजत और दो कांस्य पदक जीते।
इन खेलों में सबसे बड़ी निराशा:
बैडमिंटन, हॉकी, कबड्डी और कुराश में भारत की प्रबल दावेदारी थी लेकिन उम्मीद के मुताबिक बेहतरीन प्रदर्शन नहीं कर पाने के चलते भारत को एक रजत, एक कांस्य के साथ कुल दो-दो पदक हासिल किए।
वुशू में भारतीय खिलाड़ियों ने दमदार खेल दिखाते हुए कुल चार कांस्य पदक हासिल किए। सेपकटकरा में भी भारत को एक कांस्य पदक मिला। टेबल टेनिस की विभिन्न स्पर्धाओं में भारतीय खिलाड़ियों ने संतोषजनक प्रदर्शन करते हुए दो कांस्य पदक हासिल किए। इस साल का एशयिन गेम्स स्वप्ना बर्मन , अरपिंदर सिंह के लिए याद किया जाएगा।जिन्होंने तमाम चुनौतियों से पार पाते हुए भारत की झोली में सोने का तमगा गिराया। वहीं जिंनसन जॉनसन ने भी भारत को दो मेडल दिलाए।इस साल के आयोजन के बाद 2022 में होने वाले ओलंपिक्स में भारत की मेडल की दावेदारी बढ़ी है। देखना होगा कि क्या एशियन गेम्स में अभूतपूर्व प्रदर्शन के बाद भारत ओलंपिक्स में भी नई इबारत लिख पाएगा।