टोक्यो: भारत की अवनि लखेड़ा ने शुक्रवार को महिलाओं की 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन (एसएच1) स्पर्धा में कांस्य पदक जीतकर मौजूदा टोक्यो पैरालिंपिक में अपना दूसरा पदक जीता। यह अवनी का इसी पैरालंपिक में दूसरा मेडल है। वे महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग (SH1) स्पर्धा में पोडियम में शीर्ष पर रहकर पैरालिंपिक में स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं थी। अब अवनी ने शुक्रवार को 50 मीटर राइफल 3 पोजीशन में तीसरे स्थान के साथ एक बार फिर इतिहास रच दिया।
इसके साथ ही देश का यह 12वां पैरालंपिक मेडल हो गया है। बता दें कि इससे पहले पैरालंपिक इतिहास में भारत को अब तक 12 ही मेडल मिले थे लेकिन इनकी बराबरी इसी इवेंट में हो चुकी है। यह वाकई में भारत के लिए मील का पत्थर कहा जा सकता है। आज यानी 3 सितंबर को प्रवीण कुमार को भारत को 11वां मेडल ऊंची कूद में दिलाया था। उन्होंने हाई जंप में सिल्वर मेडल जीता था।
19 साल की अवनि को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई दी है। उन्होंने कहा कि अविन ने टोक्यो पैरालंपिक में गौरव को और बढ़ाया है। यह शानदार प्रदर्शन है।
Tokyo Paralympics: हाई जंपर प्रवीण कुमार ने जीता सिल्वर मेडल
19 साल की अवनि इस इवेंट में 1176 स्कोर करते हुए क्वालिफिकेशन में दूसरे स्थान पर रहीं थीं जिसमें 51 इनर 10s शामिल हैं। फाइनल मुकाबले में अवनि ने 445.9 का स्कोर किया।
जयपुर की इस शूटर को 2012 में कार एक्सीडेंट के बाद स्पाइनल कॉर्ड इंजरी हो गई थी। भारतीय पुरुषों में अवनि से पहले एक ही पैरालंपिक में एक से अधिक मेडल जीतने का कारनामा जोगिंदर सिंह सोढ़ी ने किया था जिन्होंने 1984 के पैरालंपिक में एक सिल्वर और दो कांस्य पदक जीते थे। उनका सिल्वर मेडल शॉट पुट में आया था जबकि डिस्कस और जेवलिन थ्रो में कांस्य पदक आए।
एसएच1 कैटेगरी में जो एथलीट भाग लेते हैं उनको पैर की अक्षमता होती है, जैसे की पैराप्लेजिया हो या फिर किसी कारणवश पैर काटने की नौबत आ जाए। कुछ एथलीट ऐसे होते हैं जो खड़े रहकर कंपीट करते हैं तो कुछ बैठकर ही करते हैं।
लखेड़ा की शूटिंग साल 2015 में शुरू हुई थी जब उनके पिता शहर की एक शूटिंग रेंज में उनको ले गए थे। अवनि को अभिनव बिंद्रा का गोल्ड मेडल बहुत प्रेरणा देता है और जब उन्होंने भारत के पहले व्यक्तिगत गोल्ड मेडलिस्ट की बॉयोग्राफी पढ़ी तो जुनून जाग उठा।