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झूठ और चापलूसी से तंग आकर इकलाैती ओलंपिक विजेता ने छोड़ा अपना देश, जाहिर किया दुख

नई दिल्ली। ईरान के लिए एकमात्र ओलंपिक पदक जीतने वाली महिला कीमिया अलीजादे ने अपने देश को छोड़ दिया है। वजह है अपने अधिकारियों की हर बात मानने पर मजबूर होना, ईरान में झूठ फैलना और उनकी कामयाबियों का राजनीतिक स्तर पर इस्तेमाल करना। 21 साल की कीमिया की हाल ही में खबर आई थी कि वो लापता हो गई हैं, लेकिन अब उन्होंने खुद सामने आकर ईरान के अधिकारियों पर गुस्सा निकाला और देश छोड़ने की वजह बताई।

कीमिया उश समय राष्ट्रीय हीरो बन गईं थी, जब उसने ब्राजील में 2016 के रियो खेलों में ताइक्वांडो के लिए कांस्य पदक जीता। लेकिन शनिवार को एक इंस्टाग्राम पोस्ट में, उसने ईरान के प्रशासन के "पाखंड" पर तीखा हमला किया और उसे आभास हुआ कि उसे स्थायी रूप से देश छोड़ देना चाहिए। कीमिया के इंस्टाग्राम पर करीब 4 लाख के फोलोअर्स हैं, जहां उन्होंने उदासीन भरी अपनी तस्वीर शेयर कर खुद को "ईरान में लाखों पीड़ित महिलाओं में से एक" कहते हुए दावा किया कि उन आरोपियों ने हमेशा उसकी सफलता का श्रेय लिया था।

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कीमिया ने लिखा, "ईरानी अफसरों पर आरोप लगाए कि उन्होंने मेरी कामयाबी को अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल किया। मैं सालों तक देश के लिए खेलती रही। अधिकारियों का हर आदेश माना। उन्होंने जो पहनने के लिए कहा, वही पहना। लेकिन हम उनके लिए अहमियत नहीं रखते। केवल इस्तेमाल होने वाले औजार की तरह हैं। सरकार मेरी कामयाबी को राजनीतिक तौर पर भुनाती रही। मेरी परेशान आत्मा आपके गंदे आर्थिक चैनलों और तंग राजनीतिक लॉबी में फिट नहीं है। मुझे ताईक्वांडो, सुरक्षा और एक खुशहाल और स्वस्थ जीवन के अलावा कोई अन्य इच्छा नहीं है।"

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با سلام آغاز کنم، با خداحافظی یا تسلیت؟ سلام مردم مظلوم ایران، خداحافظ مردم نجیب ایران، تسلیت به شما مردم همیشه داغدار ایران. شما مرا چقدر می‌شناسید؟ فقط آنطور که در مسابقات، در تلویزیون، یا در حضور مقامات دیده‌اید. اجازه دهید حالا آزادانه، هویت سانسور شده‌ام را معرفی کنم. می‌گویند کیمیا پس از این چیزی نخواهد شد. خودم از این هم فراتر می‌روم و می‌گویم قبل از این هم چیزی نبوده‌ام: «من کیمیا علیزاده، نه تاریخسازم، نه قهرمانم، نه پرچمدار کاروان ایران» من یکی از میلیون‌ها زن سرکوب شده در ایرانم که سال‌هاست هر طور خواستند بازی‌ام دادند. هر کجا خواستند بردند. هر چه گفتند پوشیدم. هر جمله‌ای دستور دادند تکرار کردم. هر زمان صلاح دیدند، مصادره‌ام کردند. مدال‌هایم را پای حجاب اجباری گذاشتند و به مدیریت و درایت خودشان نسبت دادند. من برایشان مهم نبودم. هیچکداممان برایشان مهم نیستیم، ما ابزاریم. فقط آن مدال‌های فلزی اهمیت دارد تا به هر قیمتی که خودشان نرخ گذاشتند از ما بخرند و بهره‌برداری سیاسی کنند، اما همزمان برای تحقیرت، می‌گویند: فضیلت زن این نیست که پاهایش را دراز کند! من صبح‌ها هم از خواب بیدار می‌شوم پاهایم ناخودآگاه مثل پنکه می‌چرخد و به در و دیوار می‌گیرد. آنوقت چگونه می‌توانستم مترسکی باشم که می‌خواستند از من بسازند؟ در برنامه زنده تلویزیون، سوال‌هایی پرسیدند که دقیقاً بخاطر همان سوال دعوتم کرده بودند. حالا که نیستم می‌گویند تن به ذلت داده‌ام. آقای ساعی! من آمدم تا مثل شما نباشم و در مسیری که شما پیش رفتید قدم برندارم. من در صورت تقلید بخشی از رفتارهای شما، بیش از شما می‌توانستم به ثروت و قدرت برسم. من به اینها پشت کردم. من یک انسانم و می‌خواهم بر مدار انسانیت باقی بمانم. در ذهن‌های مردسالار و زن‌ستیزتان، همیشه فکر می‌کردید کیمیا زن است و زبان ندارد! روح آزرده من در کانال‌های آلوده اقتصادی و لابی‌های تنگ سیاسی شما نمی‌گنجد. من جز تکواندو، امنیت و زندگی شاد و سالم درخواست دیگری از دنیا ندارم. مردم نازنین و داغدار ایران، من نمی‌خواستم از پله‌های ترقی که بر پایه فساد و دروغ بنا شده بالا بروم. کسی به اروپا دعوتم نکرده و در باغ سبز به رویم باز نشده. اما رنج و سختی غربت را بجان می‌خرم چون نمی‌خواستم پای سفره ریاکاری، دروغ، بی عدالتی و چاپلوسی بنشینم. این تصمیم از کسب طلای المپیک هم سخت‌تر است، اما هر کجا باشم فرزند ایران زمین باقی می‌مانم. پشت به دلگرمی شما می‌دهم و جز اعتماد شما در راه سختی که قدم گذاشته‌ام، خواسته دیگری ندارم.

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हालाँकि उसने अपने ठिकाने का खुलासा नहीं किया या जहां वह रहने का इरादा रख रही हैं। कीमिडाय ने स्पष्ट किया कि उसे यूरोप में आमंत्रित नहीं किया गया था। कुछ ईरानी मीडिया रिपोर्टों ने पिछले हफ्ते सुझाव दिया था कि वह नीदरलैंड में शरण ले सकती है, लेकिन कीमिया ने कहा कि उसे "एक आकर्षक प्रस्ताव नहीं दिया गया था।" उसने कहा, "मैं होमसिकनेस के दर्द और कठिनाई को स्वीकार करती हूं क्योंकि मैं पाखंड, झूठ, अन्याय और चापलूसी का हिस्सा नहीं बनना चाहती। यह फैसला ओलंपिक स्वर्ण से जीतने के लिए और भी कठिन है, लेकिन मैं ईरान की बेटी चाहे जहां भी रहूं मैं हूं।" यह स्पष्ट नहीं है कि वह किसी अन्य देश के लिए जुलाई में टोक्यो ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा करना चाहती है या नहीं।

Story first published: Monday, January 13, 2020, 13:02 [IST]
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