मुकेश शर्मा, बीबीसी संवाददाता, ग्वांगजो से
चूक गए बिंद्रा
भारत के प्रमुख निशानेबाज़ और बीजिंग ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा का एशियाई खेलों का अभियान पहले ही दिन निराशा के साथ ख़त्म हो गया. बिंद्रा ने यूँ तो 10 मीटर एयर राइफ़ल स्पर्द्धा में टीम को रजत पदक दिलाने में अहम भूमिका निभाई मगर एकल मुक़ाबले में वो चूक गए. वैसे एकल में उनका पदक से चूकना भी दुर्भाग्य ही कहा जाएगा.
क्वालिफ़ाइंग मुक़ाबले में 60 शॉट्स लगाने होते हैं और उनमें से 41 शॉट्स तक अभिनव और चीन के चू चिनान के बीच पहले और दूसरे स्थान के लिए कड़ा मुक़ाबला चल रहा था. उस समय तक गगन नारंग पीछे चल रहे थे और धीरे-धीरे उन्होंने शीर्ष आठ निशानेबाज़ों में जगह बनानी शुरू की थी. काफ़ी समय तक शीर्ष पर रहने के बाद बिंद्रा गगन नारंग से भी पीछे रह गए.
उसी समय जब बिंद्रा ने 42वाँ शॉट लगाया तो स्कोर बोर्ड पर स्कोर आया सात. अब तक नौ या दस के शॉट लगा रहे बिंद्रा का ये स्कोर देखकर वहाँ मौजूद सभी लोग चौंक गए. ख़ुद बिंद्रा भी सकते में थे और कोच स्टानिस्लाव लैपिडस अचानक वो स्कोर देखकर बेचैन हो गए. उन्होंने झटपट ढूँढ़कर एक लेंस लिया और उससे नज़दीक़ी से स्कोर देखा. बिंद्रा से बात करने के बाद उन्होंने आकर बताया कि स्कोर बोर्ड ने ग़लत स्कोर दर्ज किया है.
जब उनसे ये पूछा गया कि अब क्या वह जाकर इस फ़ैसले की समीक्षा की माँग करेंगे तो लैपिडस ने कहा कि बिंद्रा ने ऐसा करने से मना किया है क्योंकि वो ख़ुद पूरी तरह आश्वस्त नहीं थे कि उनका शॉट सात अंकों वाला था या नौ अंकों वाला. ऐसी स्थिति में अगर भारतीय टीम अपना विरोध दर्ज कराती और समीक्षा के बाद अगर भारतीय दावा ख़ारिज कर दिया जाता तो उस स्थिति में बिंद्रा के दो अंक काटे भी जा सकते थे.
बिंद्रा ने विरोध नहीं दर्ज कराया मगर सात अंक आने का उनके मनोबल पर असर साफ़ दिखा जब उसके बाद उनके कुछ शॉट्स निशाने से भटके. ख़ुद बिंद्रा ने भी बाद में बातचीत में माना कि जब आप स्कोर बोर्ड पर सात अंक देखते हैं तो आपको पता चल जाता है कि अब आप प्रतियोगिता से बाहर हो चुके हैं. चू चिनान और अभिनव बिंद्रा पुराने प्रतिद्वंद्वी हैं. बिंद्रा ने बीजिंग ओलंपिक में चू को मात दी थी.
वैसे इसके बावजूद बिंद्रा फ़ाइनल के लिए अंतिम आठ में जगह बनाने की होड़ में थे जबकि उनके अलावा चार और निशानेबाज़ों के अंतिम स्कोर 593 हुए मगर टाइब्रेकर में बिंद्रा और एक अन्य भारतीय संजीव राजपूत बाहर हो गए. बिंद्रा का प्रदर्शन इस सत्र में कुछ ख़ास नहीं रहा है और राष्ट्रमंडल खेलों में गगन नारंग के साथ मिलकर टीम में स्वर्ण जीतने वाले बिंद्रा वहाँ भी एकल में नारंग से पिछड़ गए थे और रजत ही जीत सके थे.
बिंद्रा ने चीन में ही दो साल पहले 2002 के एथेंस ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता चीनी निशानेबाज़ चू चिनान को मात दी थी. चू का घरेलू दर्शकों के बीच स्वर्ण जीतने का सपना टूट गया था और उस समय वो काफ़ी रोए भी थे मगर इस बार चिनान का रास्ता साफ़ था और आगे चलकर चिनान ने स्वर्ण पदक जीत भी लिया. सामान्य दिखने की कोशिश कर रहे बिंद्रा के चेहरे पर अफ़सोस साफ़ देखा जा सकता था क्योंकि महज़ एक शॉट के अंकों की गड़बड़ी ने इस बार उनका सपना तोड़ दिया