इंचियॉन। भारतीय बॉक्सर सरिता देवी जिन्होंने अपने आत्मसम्मान की जंग को जीतकर कांस्य पदक जीतने के बाद देशवासियों के दिल में एक जगह बनाई, उन्हें आखिरकार सिस्टम और अथॉरिटीज के अड़ियल रवैये के आगे झुकना पड़ गया।
सरिता देवी ने इंचियॉन में शुक्रवार को अपने उस 'इमोशनल' बर्ताव के लिए मांफी मांग ली जिसके चलते उन्होंने पदक लेने से इंकार कर दिया था। इस पूरे घटनाक्रम के बाद सबसे ज्यादा सवाल इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन (आईओए) से पूछे जा रहे हैं।
भावी खिलाड़ियों के मन में कहीं न कहीं यह सवाल उठा रहा होगा कि क्या देश में आईओए जैसी कोई संस्था है भी या नहीं।
आगे से नहीं होगा यह बर्ताव
शुक्रवार को सरिता देवी ने एक बयान जारी किया है। इस बयान में सरिता ने कहा है, 'मुझे दुख है और मैं माफी मांगती हूं। मैं विश्वास दिलाती हूं कि आगे से ऐसा बर्ताव कभी भी नहीं होगा।'
सरिता ने अपना यह माफीनामा इंटरनेशनल बॉक्सिंग फेडरेशन को भेजा है। आपको बता दें कि मंगलवार को दक्षिण कोरिया के बॉक्सर पार्क जी-ना के साथ सेमीफाइनल बाउट में हारने के बाद सरिता काफी निराश थी। सरिता को इस बात पर यकीन ही नहीं हो रहा है कि वह हार गई हैं।
इस बात से सरिता काफी नाराज थीं और उनकी नाराजगी और उनके आंसूओं को पूरी दुनिया ने अपनी टीवी स्क्रीन पर देखा था।
एआईबीए ने बताया ड्रामा
इसके बाद सरिता देवी के पति और उनकी ओर से मुकाबले में आए फैसले और जजों के खिलाफ विरोध दायर किया गया था। उनकी मांग को मानने से इंकार कर दिया गया।
इसके बाद सरिता देवी ने अपना पदक लेने से मना कर दिया। सरिता पोर्डियम पर आईं, उन्होंने मेडल भी लिया लेकिन फिर वह मेडल को वहीं पर छोड़कर चली गईं। आयोजकों के कहने के बावजूद उन्होंने पदक नहीं लिया।
सरिता के इस व्यवहार के बाद एआईबीए ने ओलंपिक काउंसिल ऑफ एशिया को अपनी रिपोर्ट भेजी। रिपोर्ट में बॉक्सर के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की मांग की गई।
सरिता के व्यवहार पर एआईबीए के सुपरवाइजर डेविड फ्रैंसिस ने पूरी भारतीय टीम की आलोचना की और उन्होंने कहा कि इस पूरे घटनाक्रम के बाद तो यही लगता है कि यह पूर्वनियोजित था।
फिलहाल एआएबीए से मांग की गई है कि वह सरिता के माफीनामे पर गौर करें और सभी परिस्थितियों को ध्यान में रखकर ही कोई कार्रवाई करें।
अभी तक सो रहा है आईओए
शर्म की बात है कि जिस आईओए पर हमारे देश के युवा खिलाड़ियों का जिम्मा है, उसके रवैये से तो लग रहा है कि उसने पूरी तरह से आंखें मूंद ली हैं।
सरिता के इस पूरे मामले में जहां पूरा देश उनके साथ खड़ा है तो आइओए ने खुद को दूर कर लिया है। जिस दिन सरिता ने अपना विरोध दर्ज कराने का मन बनाया उनसे 500 अमेरिकी डॉलर की मांग की गई।
सरिता और उनके पति को एक भारतीय पत्रकार और सरिता के कोच की ओर तरस भरी निगाहों से देखना पड़ा, लेकिन आईओए के अधिकारी बंगले झांक रहे थे।
आइओए एक सरकारी संस्था और ऐसे में यह बड़ा सवाल है कि क्या आइओए पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की ओर से कोई कार्रवाई होती है या नहीं और क्या इस खिलाड़ी का सम्मान बचाने के लिए सरकार आगे आएगी या नहीं?