नई दिल्ली। कहते हैं कि अगर जिंदगी में कोई बड़ा मुकाम हासिल करने की तमन्ना हो तो फिर रास्ते में आने वाली कठिनाईयां भी अपना राह बदल लेती हैं। यह बात एकदम सटीक बैठती है गोवा की सबिता यादव पर। सविता वो लड़की है जिसकी जिंदगी मुश्किल दाैर में गुजर रही थी लेकिन अब इसने देश का नाम राैशन कर खुद की पहचान दुनियाभर में बना ली है। 17 साल की सबिता ने स्पेशल ओलिंपिक वर्ल्ड गेम्स में एकल टेबल टेनिस इवेंट में 'गोल्ड मेडल' जीता। वहीं डबल्स में 'सिल्वर मेडल' पर कब्जा किया।
लोगों के घर में मां लगाती है झाडू-पोछा
स्पेशल ओलिंपिक वर्ल्ड गेम्स-2019 में भारत का प्रदर्शन सबसे अच्छा चल रहा है। पदक तालिका में 44 गोल्ड, 52 सिल्वर और 67 ब्रॉन्ज समते भारत कुल 163 मेडल के साथ टॉप पर है। वहीं चीन दूसरे नंबर पर है। सबिता के परिवार की बात की जाए तो उनकी मां हैं जो घर चलाने के लिए लोगों के घर जाकर झाडू- पोछा मारती है। सविता के पिता का देहांत हो चुका है। सब जिम्मेदारी सबिता के कंधों पर थी जिसने हिम्मत ना हारते हुए गेम में आगे बढ़ने की सोची, जिसका परिणाम अब उसे बड़ी कामयाबी के रूप में मिल चुका है।
IPL से पहले चला रैना का बल्ला, 29 गेंदों में खेली तूफानी पारी
सबिता मेडल जीतने के बाद इतनी व्यस्त थीं कि उन्हें अपनी मां को इस खुशखबरी देने का भी समय नहीं लगा। अब वह घर लौटकर सरप्राइज देने की तैयारी में हैं। सबिता को बौद्धिक विकलांगता के साथ-साथ ठीक से बोलने में भी परेशानी होती है। सबिता ने एक स्पेशल स्कूल में दाखिला लिया जहां वोकेशनल ट्रेनिंग दी जाती है। वहां बच्चों को सिलाई और कुकिंग के अलावा भी काफी कुछ सिखाया जाता है लेकिन उनकी रुचि टेबल टेनिस में रही। उन्होंने 2015 में जाना कि वह बैडमिंटन से ज्यादा इस खेल में बेहतर कर सकती हैं। टेबल टेनिस कोच शीतल नेगी ने कहा कि सबिता की मेहनत और लगन से उनका सपना पूरा हुआ। उन्होंने कहा कि मैं सबिता को 2 साल से जानती हूं और उनमें बड़ा आत्मविश्वास है। काफी कम लोगों को पता है कि स्पेशल ओलिंपिक ऐथलीट को भी जिला, राज्य, राष्ट्रीय स्तर को पार करने के बाद ही इंटरनैशनल लेवल पर खेलने का मौका मिलता है।