नई दिल्ली। अगर कमजोरी को ही ताकत बना लिए जाए तो फिर हर मुश्किल का सामना आसानी से किया जा सकता है। यह बात साबित की है भारत की स्टार पैरा एथलीट दीपा मलिक ने जिन्होंने अब पैरालंपिक समिति के अध्यक्ष पद के लिए अप्लाई किया है। एक सैन्याधिकारी की पत्नी हैं। कई साल पहले ट्यूमर की वजह से उनके कमर के निचले हिस्से की कई सारी सर्जरी हुई जिसकी वजह से वह चलने-फिरने में दिक्कत का सामना करने लगीं। उनके कमर के नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त है। बावजूद इसके दीपा ने हाैसला नहीं हारा और आज वो एक बाइकर, तैराक और बेहतरीन एथलिट हैं। दीपा मलिक डिस्कस थ्रो, शॉटपुट और जेवलिन थ्रो जैसे इवेंट में भाग लेती हैं. इन खेलों में उन्होंने हिन्दुस्तान को बहुत सारी सफलता दिलाई है।
30 सितंबर 1970 को जन्मी दीपा शॉटपुट एवं जेवलिन थ्रो के साथ-साथ तैराकी एवं मोटर रेसलिंग से जुड़ी एक विकलांग भारतीय खिलाड़ी हैं जिन्होंने 2016 पैरालंपिक में शॉटपुट में रजत पदक जीतकर इतिहास रचा। 30 की उम्र में तीन ट्यूमर सर्जरीज और शरीर का निचला हिस्सा सुन्न हो जाने के बावजूद उन्होने न केवल शॉटपुट एवं ज्वलीन थ्रो में राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदक जीते हैं, बल्कि तैराकी एवं मोटर रेसलिंग में भी कई स्पर्धाओं में हिस्सा लिया है। उन्होने भारत की राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 33 स्वर्ण तथा 4 रजत पदक प्राप्त किये हैं। वे भारत की एक ऐसी पहली महिला है जिसे हिमालय कार रैली में आमंत्रित किया गया।
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वर्ष 2008 तथा 2009 में उन्होने यमुना नदी में तैराकी तथा स्पेशल बाइक सवारी में भाग लेकर दो बार लिम्का बूक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में अपना नाम दर्ज कराया। यही नहीं, सन् 2007 में उन्होने ताइवान तथा 2008 में बर्लिन में जवेलिन थ्रो तथा तैराकी में भाग लेकर रजत एवं कांस्य पदक प्राप्त किया। काॅमनवेल्थ गेम्स की टीम में भी वे चयनित की गई। पैरालंपिक खेलों में उनकी उल्लेखनीय उपलब्धियों के कारण उन्हे भारत सरकार ने अर्जुन पुरस्कार और राजीव गांधी खेल रत्न प्रदान किया। रियो पैरालिंपिक खेल- 2016 में दीपा मलिक ने शॉट-पुट में रजत पदक जीता, दीपा ने 4.61 मीटर तक गोला फेंका और दूसरे स्थान पर रहीं। पैरालिंपिक खेलों में मेडल जीतने वाली दीपा पहली भारतीय महिला बन गई हैं।