नई दिल्लीः टेबल टेनिस प्लेयर मनिका बत्रा को टोक्यो ओलंपिक ने काफी पहचान दी। वे एक अच्छी खिलाड़ी हैं लेकिन असली चर्चा कोच के साथ विवाद ने दिलाई जब बत्रा ने अकेले ही अपने ओलंपिक मैच खेलने का फैसला किया। कोच को किनारे करके अकेले ही खेलने की बात भारतीय टेबल टेनिस फेडरेशन के पल्ले नहीं पड़ी और उसने बत्रा पर भारत वापसी के बाद एक्शन लेने की बात कही।
मनिका ने देश में वापसी करने के बाद कोच पर कई आरोप लगाए थे और फेडरेशन को भी कठघरे में खड़ा किया था। अब दिल्ली हाई कोर्ट तक मामला पहुंचा है जहां टेबल टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया के इस नियम पर टंपरेरी तौर पर रोक लगा दी गई है जिसके तहत किसी खिलाड़ी को इंटरनेशनल इवेंट में सेलेक्ट होने के लिए नेशनल कैम्प में भाग लेना जरूरी होता है।
मनिका बत्रा को दरअसल भारत की एशियन चैम्पियनशिप टीम से बाहर का रास्ता दिखाया गया था जिसके बाद बत्रा ने हाई कोर्ट में अर्जी दायर की थी।
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चैंपियनशिप दोहा, कतर में आयोजित होने वाली है और 28 सितंबर से शुरू हो रही है। 15 सितंबर को टीम की घोषणा की गई थी जिसमें सुतीर्थ मुखर्जी ने मनिका की अनुपस्थिति में महिला सिंगल में भारत की चुनौती का नेतृत्व किया था। 26 वर्षीय मनिका ने 17 सितंबर को एशियाई चैंपियनशिप के लिए अपना नाम शामिल करने के लिए टीटीएफआई को एक मेल भेजा और अगले दिन दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया।
कोर्ट ने इससे पहले केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील को 23 सितंबर को मामले की अगली सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने से पहले मनिका बत्रा द्वारा दायर याचिका पर निर्देश लेने को कहा था।
कोर्ट ने कहा कि मनिका बत्रा देश की सर्वोच्च रैंकिंग वाली खिलाड़ी हैं और उन्होंने सुझाव दिया कि इस तरह के फैसले लेने में कुछ संतुलन होना चाहिए।
बत्रा ने टेबल टेनिस फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा इस साल 4 अगस्त को राष्ट्रीय शिविरों के लिए नियम और विनियम जारी करने के कारण एक याचिका दायर की, जिसे उन्होंने मनमाना, मनमौजी और अस्थिर बताया था।