गिल का कहना था कि खेलों में अब 60 से भी कम दिन रह गए हैं और बारात दरवाज़े पर खड़ी है और अब तो हमें उनके स्वागत की तैयारी करनी चाहिए. पूर्व खेल मंत्री मणिशंकर अय्यर ने सुझाव दिया कि खेलों के आयोजन के लिए एक उच्चस्तरीय समिति गठित कर दी जाए और इसकी कमान खेल मंत्री एमएस गिल के हाथों हो.
उनका कहना था कि 1982 के एशियाई खेलों के दौरान भी ऐसी ही समिति गठित की गई थी और उसकी कमान सरदार बूटा सिंह के हाथों में थी और अब इसकी कमान सरदार एमएस गिल के हाथों में रहेगी. लेकिन खेल मंत्री ने उनकी माँग ठुकरा दी और कहा कि उनका अनुभव कहता है कि समिति का गठन समस्या का हल नहीं है. भाजपा के प्रकाश जावड़ेकर ने ये मामला उठाते हुए कहा कि वो सरकार से आश्वसन चाहते हैं कि खेल सफलतापूर्वक आयोजित किए जा सकेंगे, तो दूसरी ओर सीपीएम की वृद्धा कारत ने राष्ट्रमंडल खेलों में भष्ट्राचार की उच्चस्तरीय जाँच की मांग की.
ऑस्ट्रेलियाई कोच की चिंता
इधर ऑस्ट्रेलिया के हॉकी कोच और भारतीय हॉकी टीम के पूर्व तकनीकी सलाहकार रिक चार्ल्सवर्थ ने 'द ऑस्ट्रेलिया' अख़बार से बातचीत में कहा,''स्टेडियमों की बात छोड़िए, जिस खेल गाँव में रहने की व्यवस्था की गई है, वहाँ भी काम पूरा होता हुआ नहीं दिख रहा है.'' उनका कहना था,''मुझे चिंता है, हम वहाँ पहुँचेंगे और किसी इमारत की 15वीं मंजिल पर खुद को लिफ्ट में फंसा हुआ पाएंगे, न तो एसी होगा, न बिजली होगी और न नल में पानी होगा और सीवर व्यवस्था ख़राब होगी.''
इसके पहले राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी ने कहा कि वो इन खेलों के वित्तीय लेनदेन के संबंध में किसी भी तरह की जाँच का सामना करने के लिये तैयार हैं. कलमाड़ी ने एक बयान में कहा, ''मैं आयोजन समिति के अध्यक्ष के तौर पर मीडिया की ओर से आई सभी वित्तीय लेनदेन से संबंधित रिपोर्ट पर किसी भी तरह की नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) या न्यायिक जांच का सामना करने के लिए तैयार हूँ."" लेकिन कलमाड़ी की सफ़ाई के बावजूद मामला शांत होता नहीं दिखता.