हरमनप्रीत का 84 साल 1984 की याद दिलाता है
हरमनप्रीत कौर की जर्सी नंबर 84 के पीछे एक बेदह ही भावुक संदेश छुपा है। हरमन की मां ने एक इंटरव्यू में कहा है कि उनकी बेटी की जर्सी नंबर 84 कोई लकी नबंर नहीं है और ना ही इसका क्रिकेट से कोई ताल्लुक है। हरमन की मां ने जर्सी नंबर 84 का राज खोलते हुए इसका भावनात्मक कारण बताया हैं। हरमन की मां ने कहा, 'हरमनप्रीत की जर्सी नंबर 84 साल 1984 में हुए दंगों से जुड़ी है। पजांबियों के लिए 1984 उस भयानक दंगों की याद है जिसे भुला पाना मुश्किल है। हरमन ने इस नंबर को पॉजीटिव तरीके से लिया है। जर्सी के पीछे यह नंबर 1984 के दंगों में दंगा पीड़ितों को समर्पित है'। हरमन की मां ने आगे बताया कि हरमनप्रीत 1984 के दंगा पीड़ितों की एकजुटता के लिए यह जर्सी नंबर 84 पहनती हैं।
दुखद है 84 का अध्याय
1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पूरे देश भर में सिख विरोधी दंगे हुए थे जिसमें हजारों लोगों की जान चली गई थी। 1984 आजाद भारत की सबसे दुखद याद में से एक है। हरमनप्रीत कौर की जर्सी नंबर के पीछे की कहानी भावुक तो करती है लेकिन साथ में अपने समुदाय के प्रति इस तरह की भावना किसी साहस से कम नहीं है।
जुझारू खिलाड़ी हैं हरमनप्रीत कौर
हरमनप्रीत कौर महिला क्रिकेट टीम की बहुत ही जुझारू खिलाड़ी हैं। हाल ही में इंग्लैंड में खत्म महिला विश्व कप के सेमीफाइनल मुकाबले में हरमन ने 115 गेंदों में धमाकेदार 171 रनों की पारी खेल कर सभी को चौंका दिया था। पंजाब की रहने वाली हरमन भारतीय महिला क्रिकेट टीम की कप्तान भी रह चुकी हैं।