खेत में लड़कों के साथ फुटबॉल खेला करती थी हिमा दास
असम के नौगांव जिले के ढिंग गांव की रहने वाली हिमा दास के पिता रंजीत दास एक किसान हैं, जिनके पास महज 2 बीघा जमीन थी। हिमा के पिता ने इसी जमीन पर खेती करके परिवार का पालन किया। अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए अक्सर हिमा दास भावुक हो उठती हैं।
बचपन में हिमा दास अपने पिता के खेत में लड़कों के साथ फुटबॉल खेला करती थी लेकिन उनके स्कूल के दिनों में उनके पीटी टीचर की सलाह ने उनकी राह बदल दी। पीटी टीचर ने हिमा दास को रेसर बनने की सलाह दी, जिसके बाद हिमा स्थानीय कोच निपुन दास के नेतृत्व में रेसिंग करने लगी। पैसों की कमी के चलते हिमा दास के पास दौड़ने के लिये अच्छे जूते भी नहीं थे लेकिन बावजूद इसके हिमा ने जिला स्तर की 100 और 200 मीटर की स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता। हिमा की काबिलियत को देखते हुए निपुन दास उन्हें लेकर गुवाहाटी आ गये।
सस्ते जूतों में दौड़ लगा जीता गोल्ड
हिमा दास के पास दौड़ने की जबरदस्त काबिलियत थी। गुवाहाटी आने के बाद उन्होंने धावक बनने की ठान ली और खुद कोच निपुन दास ने उनका खर्च उठाना शुरु किया। शुरुआती दौर में हिमा दास को उन्होंने 200 मीटर की रेस के लिये तैयार किया और बाद में वह 400 मीटर की रेस में भी भाग लेने लगी। इस दौरान हिमा दास पैसों की कमी के चलते सस्ते जूतों में दौड़ लगाती थी।
हिमा ने शुरुआत में कुछ असफलताओं का भी सामना किया। वह ऑस्ट्रेलिया में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स का हिस्सा बनीं और वहां पर छठे स्थान पर रही, आगे चलकर बैंकॉक में एशियाई यूथ चैम्पियनशिप में 200 मीटर रेस प्रतियोगिता में 7वें स्थान पर काबिज रही।
हिमा के नाम है जबरदस्त रिकॉर्ड, ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला
हिमा ने पिछले साल 2 जुलाई को यूरोप दौरा शुरु किया और यहां पर अपना पहला गोल्ड मेडल जीता, इसके बाद 7 जुलाई को कुंटो ऐथलेटिक्स मीट, 13 जुलाई को चेक गणराज्य और 17 जुलाई को टाबोर ग्रां प्री जैसी अलग-अलग प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और लगातार गोल्ड मेडल जीतने का रिकॉर्ड बनाया। इसके साथ ही हिमा दास भारत की पहली ऐसी एथलीट बन गई हैं जिसने वर्ल्ड ऐथलेटिक्स चैंपियनशिप ट्रैक में देश के लिये गोल्ड मेडल जीतने का कीर्तिमान हासिल किया है।
हिमा ने 400 मीटर की रेस 51.46 सेकंड में खत्म करके यह रिकॉर्ड अपने नाम किया। हिमा की सफलताओं को देखते हुए कई दिग्गज हस्तियों ने उन्हें सलाम किया है। गॉड ऑफ क्रिकेट के नाम से मशहूर सचिन तेंदुलकर भी उनके फैन हैं और युवाओं के लिये प्रेरणा स्त्रोत करार दे चुके हैं।