तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
For Quick Alerts
ALLOW NOTIFICATIONS  
For Daily Alerts

फुटबॉल खेलते-खेलते कैसे भारत की गोल्डन गर्ल बन गई हिमा दास, आसान नहीं था सफर

नई दिल्ली। भारतीय एथलेटिक्स में मौजूदा समय में अगर किसी खिलाड़ी की बात की जाये ओलम्पिक्स में भारत के गोल्ड जीतने का सपना पूरा कर सकता है तो वह सिर्फ हिमा दास ही हैं। पिछले साल एथलेटिक्स की दुनिया में एक महीने के अंदर लगातार 5 गोल्ड मेडल हासिल करने वाली इस 18 साल की युवा धावक का नाम हर किसी की जबान पर है। भारतीय एथलेटिक्स की शान हिमा दास असम के छोट से गांव ढिंग की रहने वाली हैं। उनके शानदार प्रदर्शन को देखते हुए फैन्स उन्हें 'ढिंग एक्सप्रेस' के नाम से भी पुकारते हैं।

और पढ़ें: ICC टूर्नामेंट में भारतीय टीम के चयन पर नासिर हुसैन ने उठाये सवाल, जानें क्या कहा

हिमा दास शुरु से धावक नहीं बनना चाहती थी, वह बचपन में फुटबॉल खेलना पसंदा करती थी। महज 2 साल पहले रेसिंग ट्रैक पर कदम रखने वाली हिमा दास एक गरीब किसान परिवरा से ताल्लुक रखती हैं। एक छोटे से किसान परिवार से हिमा दास के लिये भारत की गोल्डन गर्ल बनने तक का सफर आसान नहीं रहा है। इसके लिये उन्हें काफी मुश्किल चुनौतियों को पार करना पड़ा है।

और पढ़ें: सौरव गांगुली का खुलासा, बताया- क्यों सचिन तेंदुलकर नहीं खेलते थे मैच की पहली गेंद

खेत में लड़कों के साथ फुटबॉल खेला करती थी हिमा दास

खेत में लड़कों के साथ फुटबॉल खेला करती थी हिमा दास

असम के नौगांव जिले के ढिंग गांव की रहने वाली हिमा दास के पिता रंजीत दास एक किसान हैं, जिनके पास महज 2 बीघा जमीन थी। हिमा के पिता ने इसी जमीन पर खेती करके परिवार का पालन किया। अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए अक्सर हिमा दास भावुक हो उठती हैं।

बचपन में हिमा दास अपने पिता के खेत में लड़कों के साथ फुटबॉल खेला करती थी लेकिन उनके स्कूल के दिनों में उनके पीटी टीचर की सलाह ने उनकी राह बदल दी। पीटी टीचर ने हिमा दास को रेसर बनने की सलाह दी, जिसके बाद हिमा स्थानीय कोच निपुन दास के नेतृत्व में रेसिंग करने लगी। पैसों की कमी के चलते हिमा दास के पास दौड़ने के लिये अच्छे जूते भी नहीं थे लेकिन बावजूद इसके हिमा ने जिला स्तर की 100 और 200 मीटर की स्पर्धा में गोल्ड मेडल जीता। हिमा की काबिलियत को देखते हुए निपुन दास उन्हें लेकर गुवाहाटी आ गये।

सस्ते जूतों में दौड़ लगा जीता गोल्ड

सस्ते जूतों में दौड़ लगा जीता गोल्ड

हिमा दास के पास दौड़ने की जबरदस्त काबिलियत थी। गुवाहाटी आने के बाद उन्होंने धावक बनने की ठान ली और खुद कोच निपुन दास ने उनका खर्च उठाना शुरु किया। शुरुआती दौर में हिमा दास को उन्होंने 200 मीटर की रेस के लिये तैयार किया और बाद में वह 400 मीटर की रेस में भी भाग लेने लगी। इस दौरान हिमा दास पैसों की कमी के चलते सस्ते जूतों में दौड़ लगाती थी।

हिमा ने शुरुआत में कुछ असफलताओं का भी सामना किया। वह ऑस्ट्रेलिया में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स का हिस्सा बनीं और वहां पर छठे स्थान पर रही, आगे चलकर बैंकॉक में एशियाई यूथ चैम्पियनशिप में 200 मीटर रेस प्रतियोगिता में 7वें स्थान पर काबिज रही।

हिमा के नाम है जबरदस्त रिकॉर्ड, ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला

हिमा के नाम है जबरदस्त रिकॉर्ड, ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला

हिमा ने पिछले साल 2 जुलाई को यूरोप दौरा शुरु किया और यहां पर अपना पहला गोल्ड मेडल जीता, इसके बाद 7 जुलाई को कुंटो ऐथलेटिक्स मीट, 13 जुलाई को चेक गणराज्य और 17 जुलाई को टाबोर ग्रां प्री जैसी अलग-अलग प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और लगातार गोल्ड मेडल जीतने का रिकॉर्ड बनाया। इसके साथ ही हिमा दास भारत की पहली ऐसी एथलीट बन गई हैं जिसने वर्ल्ड ऐथलेटिक्स चैंपियनशिप ट्रैक में देश के लिये गोल्ड मेडल जीतने का कीर्तिमान हासिल किया है।

हिमा ने 400 मीटर की रेस 51.46 सेकंड में खत्म करके यह रिकॉर्ड अपने नाम किया। हिमा की सफलताओं को देखते हुए कई दिग्गज हस्तियों ने उन्हें सलाम किया है। गॉड ऑफ क्रिकेट के नाम से मशहूर सचिन तेंदुलकर भी उनके फैन हैं और युवाओं के लिये प्रेरणा स्त्रोत करार दे चुके हैं।

Story first published: Wednesday, July 8, 2020, 16:49 [IST]
Other articles published on Jul 8, 2020
POLLS
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Yes No
Settings X