ग्रेटर नोएडा। भारत में पहली बार आयोजित हो रही फॉर्मूला 1 ग्रां प्री में जब रविवार को जब ड्राइवर रफ्तार से बातें करेंगे, तब स् zwj;टेडियम में मौजूद हजारों दर्शक उसका मजा ले रहे होंगे, लेकिन क् zwj;या आपको पता है कि रेसिंग के दौरान ड्राइवर अपनी जान हथेली पर लेकर कार चलाते हैं। लेकिल आंकड़ों पर बात करने वाले अधिकारी कहते हैं कि ड्राइवरों की जान को कोई खास कतरा नहीं। डान वेल्डन और माक्रो सिमोनसिली की दुर्घटना में हुई मौत के बाद मोटरस्पोर्ट जगत की नजरें इसी रेस पर होंगी। सात दिन के अंदर हुई इन दोनों घटनाओं ने मोटरस्पोर्ट जगत को गहरे सदमे में डाल दिया। इंडिकार रेसर वेल्डन का 16 अक्तूबर को लास वेगास में जबकि मोटो ग्रां प्री राइडर सिमोनसिली की 24 अक्तूबर को सेपांग प्रतियोगिता में दुर्घटना में मौत हो गई थी। फार्मूला वन के अध्यक्ष बनरी एकलेस्टोन ने कहा कि फार्मूला वन रेस सुरक्षित है और डाइवरों ने भी इस विचार का समर्थन करते हुए कहा कि वे अपनी सुरक्षा के बारे में चिंतित नहीं हैं। महान डाइवर माइकल शूमाकर ने कहा कि डाइवर कार को सीमा तक ले जाते हैं क्योंकि वे यही करना पंसद करते हैं, जबकि सहारा फोर्स इंडिया के एडियन सुतिल ने कहा कि फार्मूला वन रेस सुरक्षित है। इनकी बातों में दम है क्योंकि फार्मूला वन में ऐसी घटना 1994 में देखने को मिली थी जब आस्ट्रिया के डाइवर रोलैंड राटजेनबर्गर और तीन बार के विश्व चैम्पियन आर्यटन सेना की इटली के सैन मारिनो ग्रां प्री में मौत हो गई थी। सवाल यह है कि एकलेस्टोन और डाइवरों को फार्मूला वन रेसिंग में सुरक्षा के बारे में इतना भरोसा क्यों हैं।