नई दिल्ली। दीपा करमाकर...केवल नाम ही काफी है। रियो ओलंपिक में भारत की इस जिमनास्ट ने कामयाबी का एक नया इतिहास रचा है। भले ही मेडल उनके सीने पर नहीं लेकिन जिमनास्टिक खेल के विश्वपटल पर उन्होंने भारत की एक नई तस्वीर पेश की है।
दीपा करमाकर के कोच नंदी की रातों की नींद हो गई है गायब...
शनिवार को दीपा जब भारत लौटीं तो उनका जिस तरह से दिल्ली एयरपोर्ट पर स्वागत हुआ, उसकी उम्मीद उनको बिल्कुल नहीं थी।
IOA के गुडविल एम्बेसडर सलमान को पता ही नहीं जिमनास्ट दीपा का सही नाम
देश की आन-बान और शान दीपा की एक झलक पाने के लिए एयरपोर्ट पर लोग परेशान थे। दीपा ने किसी को निराश नहीं किया, उन्होंने सबको हाथ हिलाकर थैंक्स बोला। इसके बाद वो मीडिया से मुखातिब हुईं। एनडीटीवी इंडिया को दिये गये इंटरव्यू में दीपा ने कहा कि वो बहुत जिद्दी हैं। एक बार किसी चीज के पीछे वो पड़ जाती हैं तो फिर पड़ ही जाती है। दीपा की इस बात का समर्थन उनके कोच नंदी ने भी किया।
जिम्नास्टिक के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय बनीं दीपा करमाकर
और शायद यही वो जिद है जिसकी वजह से दीपा करमाकर ने रियो ओलंपिक में इतिहास रचा। दीपा ने कहा कि मैं अपनी इसी जिद को लेकर वापस लौटी हूं ताकि ओलंपिक मेडल इंडिया लेकर आऊं। मुझे खुशी है कि लोग अब मुझे और जिमनास्टिक को पहचानने लगे हैं। मैं बस अपने देश के लोगों से यही कहना चाहती हूं कि आपकी लड़कियों में खेलने की प्रतिभा है तो उन्हें प्रोत्साहित कीजिये, उनका मनोबल बढ़ाइये, बेटी पढ़ाओ, बेटी बढाओ और मेडल पाओ।