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सड़क हादसे में गंवाया था पैर
दरअसल दिव्यांग एथलीट मनमोहन सिंह लोधी नरसिंहपुर जिले की गोटेगांव तहसील के कंदरापुर गांव के रहने वाले हैं। 2009 में हुए एक हादसे में उनको अपना एक हांथ गंवाना पड़ा था लेकिन बावजूद इसके ये हादसा उनके हौसलों को नहीं डिगा सका और मनमोहन ने दौड़ में कई राजकीय और राष्ट्रीय पदक जीते। अहमदाबाद में आयोजित प्रतियोगिता में 100-200 मीटर की फर्राटा दौड़ में उन्होंने सिल्वर मेडल हासिल किया था। वहीं 2017 में मनमोहन को मप्र का सर्वश्रेष्ठ दिव्यांग खिलाड़ी भी घोषित किया गया था।
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शिवराज सरकार ने किया था वादा तो जगी थी आसः
चुनावी बिगुल जब बजता है तो सियासी गलियारों में घोषणाएं भी आम होती हैं। ऐसा ही एक किस्सा था एमपी के शिवराज सरकार का भी, बता दें कि मध्यप्रदेश में साल 2003 से बीजेपी की सरकार है और उसके मुख्यमंत्री हैं शिवराज सिंह। वहीं शिवराज सरकार ने 2017 में राष्ट्रीय पदक जीतने वाले दिव्यांग खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी देने का वादा किया था और दिव्यांगों के करीब 6000 पदों पर भर्ती करने का भी एलान किया था, लेकिन शायद वो अपना वादा भूल गए जिसके कारण एक खिलाड़ी सड़कों पर भीख मांगने को मजबूर है।
कई बार लगाई गुहारः
सियासी हुक्मरानों के लिए फरियादी सिर्फ उस वक्त जरूरी होते हैं जब चुनावी समर का दौर हो वरना तो बस फरियादी सत्तासीनों के लिए एक दिनचर्या का हिस्सा हैं जिनका आना-जाना लगा रहता है। ऐसा ही कुछ हुआ मनमोहन के साथ भी। दरअसल मनमोहन को जब सीएम की इस घोषणा का पता चला तो उन्होंने अपनी खेल प्रतिभा के आधार पर सरकारी नौकरी के लिए प्रयास शुरू किया, लेकिन नौकरी का कागज कोरा ही रह गया। मनमोहन ने बताया कि वो 4 बार मु्ख्यमंत्री से मिले लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात जैसा ही रहा, वो भरोसा देते रहे , हम मानते रहे, लेकिन उम्मीदों से पेट की भूख कहां मिटती है। नतीजतन देश का हुनर सड़कों पर भीख मांगने के लिए मजबूर है।