नई दिल्ली। ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में चल रहे पैरालंपिक खेलों में एक एथलीट ऐसी आई हैं जो स्वर्ण पदक जीतने बाद अपनी मौत चाहती हैं। यह वह मजबूरीवश चाहती हैं।
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दरअसल, बेल्जियम की मारीके वेरवूर्ट पैराट्राइथलॉन एथलीट हैं और वह पैरालंपिक खेलों में प्रतिभाग कर रही हैं। रीढ़ की हड्डी से जुड़ी गंभीर बीमारी से जूझ रहीं मारीके की जिंदगी बद से भी बदतर हो चुकी है। वह केवल व्हील चेयर तक ही सिमटकर रह गई हैं। वह वर्ष 2000 से इस बीमारी से ग्रसित हैं।
व्हीलचेयर स्प्रिंटर 37 वर्षीय मारीके वेरवूर्ट पैरालंपिक खेलों में इससे पहले स्वर्ण पदक जीत भी चुकी हैं। उन्होंने यह मेडल 2012 लंदन खेलों की 100 मीटर रेस में जीता था।
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मारीके जिस बीमारी से ग्रसित हैं, वह लाइलाज है। वह इसकी वजह से रात में सिर्फ 10 मिनट ही सो सकती हैं। नींद पूरी न हो पाने की वजह से कई बार वह बेहोश हो जाती हैं। 2016 पैरालंपिक खेल उनका आखिरी टूर्नामेंट है।
बेल्जियम में अगर कोई इच्छामृत्यु चाहता है तो वह ले सकता है। वहां यह वैध है। इस कानून को बेल्जियम में 2002 में कानूनी तौर पर मंजूर किया गया था। हालांकि, इसके लिए तीन डॉक्टर्स की इजाजत चाहिए होती है। इस लिहाज से देखा जाए तो मारीके इच्छामृत्यु ले सकती हैं।
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मीडिया को मारीके ने बताया कि, 'मेरी जिंदगी का हर दिन जद्दोजहद के बीच गुजरता है। कई बार दर्द असहनीय हो जाता है। हर कोई मुझे स्वर्ण पदक के साथ मुस्कुराता देखता है लेकिन उसके पीछे के अंधेरे को नहीं देख सकता। मैं बहुत ही बुरी स्थिति में हूं।'