जान ज़ेलेज़्नी की वीडियो देखते हुए भाला फेंकने की बेसिक तकनीक सीखी-
जी हां, नीरज चोपड़ा ने यू ट्यूब पर जान ज़ेलेज़्नी की वीडियो देखते हुए भाला फेंकने की बेसिक तकनीक सीखी थी। यह नीरज के शुरुआती दिनों की बात थी जब वह जान ज़ेलेज़्नी की वीडियो देखा करते थे और अपनी तकनीक को उसी के हिसाब से डालने की कोशिश करते थे। हालांकि 2018 में लगी चोट के बाद उनको अपनी तकनीक और एक्शन बदलना पड़ा लेकिन फिर भी कई चीजें अभी भी वही रही जो कि जान ज़ेलेज़्नी की तकनीक थी। नीरज भला फेंकने के समय जिस तरीके से अपने पैरों का इस्तेमाल करते, जान ज़ेलेज़्नी भी वैसा ही करते थे और कभी भी अपने करियर में ऐसा करने में असफल नहीं हुए।
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ताऊ देवी लाल स्टेडियम में शुरुआत हुई-
नीरज चोपड़ा जब स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सेंटर में आए तब वे एक जूनियर एथलीट थे। यह सेंटर पंचकूला में ताऊ देवी लाल स्टेडियम में था और यहां पर उनकी 4 साल तक ट्रेनिंग हुई जो कि 2011 में शुरू हो चुकी थी और वहां पर उन्होंने अपनी ऐज ग्रुप के कई सारे इवेंट में रिकॉर्ड भी थोड़े। 2012 में 14 साल के नीरज ने नेशनल जूनियर चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीत लिया और यह मीट लखनऊ में हुई थी जहां पर उन्होंने 68.46 मीटर का भला फेंका था। उनकी इस उपलब्धि ने नेशनल कैंप में एंट्री दिलाती।
2016 में पहली बार इंटरनेशनल स्टेज को परखा-
नीरज ने अपनी थ्रो को अगले साल तक 69.69 मीटर तक सुधार लिया और यह मुकाबला केरला के तिरुवनंतपुरम में हुआ था। नीरज ने यहां से आगे बढ़ते गए और 2014 में 70 मीटर के निशान को आखिरकार पार करने में कामयाबी हासिल की। यह 2015 का साल था जब नीरज ने उल्लेखनीय सफलता हासिल करने के लिए 80 मीटर को भी पार कर दिया। उन्होंने तब 81.04 मीटर का भला फेंका था और पटियाला में इंटर वारसिटी चैंपियनशिप में गोल्ड जीता था।
2016 में नीरज ने पहली बार इंटरनेशनल स्टेज का स्वाद चखा और अंडर-20 वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। पोलैंड में हुई इस चैंपियनशिप में नीरज ने 86.48 का मीटर का भला फेंका था। आज भी यह थ्रो जूनियर लेवल पर एक वर्ल्ड रिकॉर्ड है। आप जानते ही हैं उसके बाद जो चीजें हुई वह इतिहास बना चुकी हैं।
नीरज 2018 में कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स में आसमान सरीखी अपेक्षाओं के साथ गए थे जो उन्होंने पूरी की और दोनों ही प्रतियोगिताओं में गोल्ड मेडल जीते जबकि एशियन गेम्स में तो नेशनल रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। इसके बाद चोट और लॉकडाउन आया लेकिन नीरज वैसे ही रहे जैसे थे और आप जानते ही हैं 7 अगस्त को क्या हुआ वह एक ओलंपिक चैंपियन बन चुके हैं। नीरज का नाम सोने के अक्षरों में दर्ज हो चुका है।