आज भी बहुत सुधरी नहीं है मीराबाई के घर की स्थिति-
एक गरीब परिवार में जन्मी मीराबाई अपने छह भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं। उनके पिता इंफाल के स्टेट पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट में कंस्ट्रक्शन वर्कर का काम करते थे जबकि उनकी माता गांव में ही चाय पकौड़े की छोटी सी दुकान चलाती थी। पिता की सैलरी केवल इतनी ही थी कि परिवार का बस गुजर ही हो सके। लेकिन गरीबी किसी भी प्रतिभा को आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती और चानू ने यह बात साबित कर दी है।
सोशल मीडिया पर जहां मीराबाई चानू की जय जयकार करने की तस्वीरें हैं और उनके माता-पिता का सार्वजनिक सम्मान करने के कई वीडियो है तो वहीं कुछ तस्वीरें ऐसी भी हैं जो उनके परिवार की स्थिति की झलकियां दिखाती हैं। हालात बहुत ज्यादा सुधरे नहीं हैं।
Tokyo Olympics: जापान की अकाने यामागुची से होगा पीवी सिंधु का बड़ा मुकाबला
गरीबी किसी की सफलता हासिल करने से नहीं रोक सकती-
मणिपुर के चीफ मिनिस्टर के सलाहकार के तौर पर काम करने वाले रजत सेठी ने अपने ट्विटर अकाउंट पर जो फोटो शेयर की है उसमें आप मीराबाई को उनके परिवार के अन्य लोगों के साथ बैठा देख सकते हैं और वे जमीन पर उसी साधारण तरीके से बैठकर खाना खा रहे हैं, उनके पीछे के बैकग्राउंड में आप रसोई का सामान देख सकते हैं जो बहुत साधारण है।
रजत सेठी ट्वीट में कहते हैं कि, गरीबी कभी भी एक इंसान को उसके सपनों को हासिल करने से रोकने का बहाना नहीं हो सकती है। भारत की बहुत प्यारी साइकोम मीराबाई चानू मणिपुर में अपने घर में है जहां वह टोक्यो ओलंपिक में गोल्ड मेडल हासिल करने के बाद लौटी है।
लकड़ियों को उठाने वाली ने देश की उम्मीदों को सिर पर उठाया-
मीराबाई बचपन में अपने अपने भाइयों के साथ जंगल में लकड़ी लेने जाया करती थी ताकि उनमें आग जलाकर ईंधन का जुगाड़ हो सके और कई बार लकड़ियों के गठ्ठे बना दिए जाते थे जिनको उनके भाई नहीं उठा पाते थे लेकिन मीराबाई लकड़ियों को अपने सिर पर उठाकर 2 किलोमीटर घर तक की यात्रा आसानी से कर लेती थी और तब उनकी उम्र केवल 12 साल थी। इस बात की जानकारी खुद उनके भाई ने दी है। बचपन से ही उनके जींस ऐसे थे जिन्होंने वेटलिफ्टिंग में उनकी काफी मदद की और साथ में उनकी अटूट मेहनत तो थी ही।
निश्चित तौर पर अब मीराबाई की स्थिति पहले जैसी नहीं है क्योंकि उनके ऊपर करोड़ों के इनाम की बौछार ओशो हो चुकी है उनको अपने राज्य में पुलिस अधिकारी कभी पद मिल चुका है।