रवि कुमार को गोल्ड गंवाने का ज्यादा मलाल है-
रवि मानते हैं कि उनको फाइनल मुकाबला जीतना चाहिए था और उन्होंने भारत से आने के बाद अपने लगभग सभी इंटरव्यू में यही बात दोहराई है। रवि के जुनून को देखकर साफ लगता है कि उनका लक्ष्य 2024 ओलंपिक में गोल्ड जीतना होगा।
रवि को सिल्वर मेडल दिलाने वाला मुकाबला सेमीफाइनल में था जिसमें उनके विपक्षी पहलवान नूरइस्लाम सनायेव थे। रवि ने मुकाबला नूरइस्लाम को चित कर के यह मैच जीता था क्योंकि एक समय यह भारतीय पहलवान मैच में पिछड़ रहा था ऐसे में वापसी के लिए पिन करने के अलावा कोई और चारा बचा भी नहीं था। रवि ने मैच को अप्रत्याशित ढंग से जीत लिया लेकिन उनके विपक्षी पहलवान नूरइस्लाम ने जिस तरीके से रवि के बाइसेप्स में अपने दांत गड़ाए वह मामला काफी चर्चित हो गया।
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विवाद नहीं चाहते थे, इसलिए शिकायत नहीं की-
रवि कुमार दहिया ने इस मुकाबले में ओलंपिक के इतिहास का एक यादगार कमबैक किया था। इस दौरान की तस्वीरें वायरल हुई जिसमें उनके विपक्षी को उनके दाहिने हाथ के बाइसेप्स पर काटते हुए देखा गया। रवि भारत में वापस आ चुके हैं और अपने गोल्ड मेडल को ना जीत पाने के मलाल के बारे में तो बात कर ही चुके हैं, उन्होंने अब उस कॉन्ट्रोवर्सी के ऊपर भी बात की।
रवि ने टोक्यो ओलंपिक में इसके बारे में बात नहीं की और उन्होंने अब भी इस विवाद को ज्यादा तूल नहीं दिया। रवि ने 'आज तक' से बात करते हुए कहा कि वे किसी प्रकार का विवाद नहीं चाहते थे। उन्होंने बताया, "मेरा फोकस खेल पर था। हालांकि अगले दिन वह रेसलर मेरे पास आया और मुझसे माफी मांगी। इसके चलते मैंने इस मामले को यहीं पर खत्म करना ठीक समझा और शिकायत नहीं की।"
वह मैच यादगार था-
चौथी वरीयता प्राप्त रवि इस मुकाबले में 2-9 से पिछड़ रहे थे लेकिन समय ने ऐसा खेल पलटा कि रवि ने अपने प्रतिद्वंदी पर डबल लेग अटैक किया जिसके चलते 'विक्ट्री बाई फाल' के तहत उनको विजयश्री हासिल हो गई।
रवि इतनी भारी लीड से पिछड़ने के बावजूद भी हड़बड़ाहट में नहीं दिखे और उन्होंने दिखाया कि एक पहलवान शारीरिक ताकत के साथ-साथ मानसिक ताकत का भी धनी होता है।
रवि ने नाहरी गांव के हंसराज ब्रह्मचारी अखाड़े में कुश्ती शुरू की और बाद में नई दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में शिफ्ट हो गए। नाहरी गांव दो ओलंपिक पहलवानों, महावीर सिंह (1980 मास्को) और अमित कुमार दहिया (2012 लंदन) का घर है।