साक्षी मलिक
फ्रीस्टाइल महिला पहलवान साक्षी मलिक ने इंडिया के लिए कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा, 23 साल की हरियाणवी साक्षी ने किर्गिस्तान की अइसुलू टाइबेकोवा को 58 किलोग्राम वर्ग में पराजित कर पूरे भारत देश को गौरवान्वित किया।
ललिता बाबर
रियो ओलंपिक में ललिता शिवाजी बाबर 3 हजार मीटर स्टीपलचेज के फाइनल में पहुंचीं, हालांकि वो जीत नहीं पायी लेकिन फिर भी वहां तक पहुंचना इतना आसान नहीं था। आपको बता दें कि पी. टी उषा के के बाद फाइनल में पहुंचने वाली ललिता पहली भारतीय महिला एथलीट हैं।
दीपा करमाकर
22 साल की जिमनास्ट दीपा करमाकर ने जिम्नास्टिक के फाइनल में पहुंचकर इतिहास रचा। 52 वर्षो के बाद ओलम्पिक खेलों की जिम्नास्टिक स्पर्धा में पहली भारतीय महिला एथलीट के तौर पर प्रवेश करने वाली दीपा भले ही चौथे नंबर पर रहीं लेकिन उन्होंने पूरे देश को गौरवान्वित किया।
पीवी सिंधु
बैडमिंटन के एकल स्पर्धा में भारत को सिल्वर मेडल दिलाने वाली पीवी सिंधु ने सफलता का नया इतिहास रचा है। ऐसा करने वाली वो पहली भारतीय महिला एथलीट हैं।
माइकल फेलप्स
रियो में पांच स्वर्ण जीतकर अमेरिकी तैराक माइकल फेलप्स 23 स्वर्ण सहित अपने पदकों की कुल संख्या 28 करके पूरी दुनिया को अपना मुरीद बनाया।
उसेन बोल्ट
रफ्तार किंग उसेन बोल्ट ने रियो की तीनों स्पर्धाओं का स्वर्ण जीतकर नई हिस्ट्री लिखी। बोल्ट के नाम नौ ओलंपिक स्वर्ण हैं।
अभिनव बिंद्रा
अपने अंतिम ओलंपिक में शूटिंग में भले ही अभिनव बिंद्रा ने कोई मेडल नहीं जीता लेकिन वो फाइनल तक पहुंचे और अंतिम चार तक पहुंचे, ये अपने आप में एक खास बात है। रियो की ओपनिंग सेरोमनी में जब बिंद्रा तिरंगे के साथ चले, वो पल वाकई में अलौकिक था।
साक्षी मलिक के हाथ में तिरंगा
रियो ओलंपिक में समापन समारोह में कांस्य पदक विजेता साक्षी मलिक ध्वज वाहक रहीं जो कि अपने आप में स्मरणीय पल है। जिसे साक्षी क्या पूरा भारत कभी नहीं भूल सकता है।
ओलंपिक में रिफ्यूजी टीम भी
इस बार के रियो ओलंपिक में 120 साल बाद रिफ्यूजी एथलीट्स टीम ने हिस्सा लिया, जिसमें 10 खिलाड़ी थे जिन्होंने किसी देश का प्रतिनिधित्व तो नहीं किया लेकिन वो अपने और ओलंपिक के लिए खेले।
एक नजर: सिंधु से पहले किन भारतीय महिलाओं ने दिलाया ओलंपिक में मेडल?
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