रियो। ओलंपिक में भारत को पहला मेडल दिलाने वाली साक्षी मलिक, यह कारनामा करने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं। साक्षी ने जीत के बाद कहा कि उन्हें आखिरी पल तक भरोसा था कि वह मेडल जीत रही हैं।
साक्षी ने कहा, 'मैंने 2-2 सेकेंड में गेम को पलटते देखा है, मेरे पास 10 सेकेंड थे। मैंने 10 सेकेंड में वह कर दिखाया, जो मैं करना चाहती थी।' उन्होंने कहा कि मैंने ठाना था कि आखिरी पल तक लड़ना है।
रियो में जगी उम्मीद : साक्षी मलिक ने कुश्ती रेपचेज का पहला मुकाबला जीता
'12 साल की तपस्या का फल मिला'
जीत पर उत्साहित साक्षी ने कहा कि यह उनकी 12 साल की तपस्या का फल है। उन्होंने कहा, 'यह 12 साल की मेहनत, कड़ी तपस्या और मेरे कोच का सहयोग है जो मैं यह कर दिखाने में कामयाब रही।' साक्षी ने यह भी कहा कि देश को इसके पहले कोई मेडल न मिलने की वजह से उन पर भी दबाव था कि देश के लिए ओलंपिक में मेडल लाना है।
रियो ओलंपिक 2016 : भारत को कांस्य पदक दिलाने वाली साक्षी मलिक की बायोग्राफी
8-5 से पराजित कर मेडल पर किया कब्जा
बता दें कि 23 साल की साक्षी ने किर्गिस्तान की आइसूलू टाइनेकबेकोवा को 58 किलोग्राम वर्ग में 8-5 से पराजित कर फ्रीस्टाइल कुश्ती में रेपशाज के जरिये में ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया।