नई दिल्ली। प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती और प्रतिभा और लगन की बदौलत सबकुछ हासिल किया जा सकता है। नौ साल के एक बच्चे ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए विदेश में एक बड़ी जंग जीत ली। नौ वर्षीय इस भारतीय उदीयमान शतरंज खिलाड़ी ने अपने पिता के कार्य वीजा की अवधि समाप्त होने के बाद ब्रिटेन में रहने की अपनी लड़ाई जीत ली है। देश के गृह कार्यालय ने उसकी 'असाधारण प्रतिभा' के मद्देनजर मामले को अपवाद के तौर पर लिया।
श्रेयस रोयाल ने कई शतरंज प्रतियोगिताएं जीती हैं और अपने आयु वर्ग में दुनिया के चौथे नंबर के खिलाड़ी है। उनमें भविष्य में वर्ल्ड चैंपियन बनने का भी माद्दा है।
उनके पिता जितेंद्र सिंह की सूचना प्रौद्योगिकी संबंधी वीजा की अवधि अगले महीने पूरी हो रही है और तब उनका परिवार भारत लौटता। लेकिन ब्रिटेन के कई सांसदों ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए गृह मंत्री साजिद जावेद से रोयाल की असाधारण प्रतिभा को देखते हुए मामले को अपवाद के तौर पर देखने की अपील की थी।
सिंह ने 'गार्डियन' अखबार से कहा, 'उन्होंने (गृह कार्यालय) ने अभी अभी मुझे ईमेल किया और बताया कि उन्हें मेरे मामले पर ध्यान दिया तथा हमारे लिए टियर 2 सामान्य माध्यम पर बने रहने के लिए हमारी वतन वापसी का समय टालने की मंजूरी दे दी है। उन्होंने बताया कि उनका परिवार और श्रेयस इससे काफी खुश है। वह गृह कार्यालय और गृह मंत्री का आभार जताना चाहते हैं।