नयी दिल्ली। भारतीय भारोत् zwj;तोलन पर वर्ष 2011 में डोपिंग का काला धब् zwj;बा तो नहीं लगा लेकिन खिलाड़ी विश् zwj;व स् zwj;तर पर अच् zwj;छा प्रदर्शन करने में भी नाकाम रहे। 2010 के अच् zwj;छे प्रदर्शन के बाद इस साल भारत के हाथ निराशा ही हाथ लगी। जब राष् zwj;ट्रमांडल और एशियाई चोलों के तीन स् zwj;वर्ण पदक विजेताओं सहित सात शीर्ष एथलीट डोपिंग के दोषी पाए गये। एशियाई खेलों की दोहरी पदक विजेता अश्विनी अकुंजी और चार गुणा चारा सौ मीटर रिले टीम की उनकी साथी सिनी जोस और मनदीप कौर डोपिंग के दोषियों में शामिल रहे। इस बीच लंदन ओलंपिक के लिए भारत के पांच एथलीटों ने क् zwj;वालीफाई कर लिया है। कृष् zwj;णा पुनिया, टिंटू लूका, मयूखा जानी, गुरमीत सिंह और ओम प्रकाश करहाना ने अपनी जगह पक् zwj;की कर ली है। कर्णम मल्लेश्वरी ने सन 2000 सिडनी ओलंपिक में कांस्य जीतकर भारत को भारोत्तोलन में शिखर तक पहुंचाया था। उसके बाद तो जैसे लगातार गिरते प्रदर्शन और डोपिंग के डंक के कारण भारतीय भारोत्तोलन इस कदर धरातल पर पहुंच गया कि अपनी मेजबानी में हो रहे राष्ट्रमंडल खेलों में उसकी भागीदारी ही अनिश्चितता के घेरे में आ गई है।