फार्मूला वन, रेसिंग की दुनिया का वो ट्रैक जहां हर रफ्तार का जंगी अपने हौसलों से लोगों का मनोरंजन करता है। बीते साल 2011 में भारत की सर जमीं पर भी पहली बार दिल दहला देने वाली स्पीड और एफ 1 कारों की गूंज ने देश के पहले एफ वन रेसिंग ट्रैक (बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट) पर एक सुनहरे भविष्य की आस में अपना आगाज किया था। लेकिन अब इस आगाज के अंजाम पर ही सवालिया निशान खड़े होते नजर आ रहें हैं।
दरअसल हाल ही में हंगरी में आयोजित एफ-1 रेस के खत्म होने के दौरान फार्मूला वन के कॉमर्शियल प्रमुख बर्नी एक्लेस्टोन ने अचानक से इंडियन ग्रां प्री के ट्रैक पर भूचाल ला दिया है। एक्लेस्टोन ने इस दौरान कहा कि, अगले वर्ष भारत में होने वाली ग्रां प्री रेस पर संशय की स्थिती है। एक्लेस्टोन के मुताबिक भारत में एफ-1 रेस कराना मुश्किल है क्योंकी यहां सियासी दखलंदाजी की वजह से बाधा पैदा होती है।
बीता इंडियन ग्रां प्री भारतीय रेसिंग वर्ल्ड में एक नये जूनून के साथ शुरू हुआ था। बुद्ध इंटरनेशल सर्किट उस दिन बॉलीवुड और बिजनेस वर्ल्ड सहित कई नामचिन सितारों से भरा हुआ था। ऐसा पहली बार था जब एफ-1 रेस ने भारत में कदम रखा था। जहां एक तरफ लोगों में रफ्तार के इस जंग को देखने का जोश था वहीं उन्हें उनके फेवरेट रेसर्स जैसे, माइकल शुमाकर, फेरनॉडो एलांजो, लेविस हेमिल्टन सरिखे जंगियों को देशी ट्रैक पर जोर आजमाइश करते देखने का मौका भी मिला था।
ये ट्रैक्स हो सकते हैं मुश्किल के सबब:
जैसा कि दुनिया भर में एफ-1 रेसिंग की लोकप्रियता बढ़ रही है। एक तरफ इस खेल से रेसिंग टीमों के जज्ब़ात जुड़े हैं तो दूसरी तरफ यह आयोजको के लिये कमाई का बेहतरीन जरिया भी है। इसी क्रम में हर कोई अपने देश में रेसिंग ट्रैक की शुरूआत कर रहा है। आपको बता दें कि, अगले साल से रूस और न्यूजर्सी में एफ-1 रेस शुरू होने जा रही है।
इसके साथ ही लगभग 11 वर्षो के बाद ऑस्ट्रिया में भी फिर से यह रेस शुरू हो जाएगी। ये मुल्क भी अपने जमीं पर एफ-1 के गुबार को देखने को बेताब हैं। अब प्रश्न यह है कि एक वर्ष में बमुश्किल 20 ग्रांड प्री रेसों का आयोजन किया जा सकता है, वहीं अब ग्रां प्री आयोजकों की संख्या में अचानक से इजाफा हो गया है। जानकारों का मनना है कि, यह भी एक कारण हो सकता है कि एक्लेस्टोन भारतीय ग्रां प्री को नजरअंदाज कर रहें हों।
2,000 करोड़ रुपये का ट्रैक, रेस से कैसे होगा वंचित:
भारत में देश का पहला एफ-1 रेस ट्रैक बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट के निर्माण के समय इसमें 2,000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया था। इस ट्रैक का निर्माण जेपी ग्रूप ने किया, ट्रैक के निर्माण के दौरान हर उस बात का ख्याल रखा गया ताकि कहीं से भी ट्रैक पर कोई कमी न नजर आये। लेकिन एक्लेस्टोन के एक बयान ने इस ट्रैक की शाख में बट्टा लगा दिया है। इतना ही नहीं हेमिल्टन ने इस ट्रैक पर अभ्सास सत्र के दौरान इसे दुनिया की सबसे बेहतरीन रेसिंग ट्रैक भी करार दिया था।
एफ-1 भारत से दूर नहीं जा सकता, अगले वर्ष होगी प्रतियोगिता:
जहां एक तरफ दुनिया भर में यह बात जंगल में आग की तरह फैल चुकी है, कि इंडियन ग्रां प्री की मेजबानी खतरे में हैं। वहीं भारत के फार्मूला वन रेसर करूण चंडोक ने इस बात का दिलासा दिया है कि, बुद्ध इंटरनेशनल सर्किंट की जरूरत इंडियन ग्रां प्री और फार्मूला वन दोनों को ही है। इसके अलावा एक्लेस्टोन ने जो बयान दिया है वो अंतिम निर्णय नहीं है, हमें उम्मीद है कि कि अगले वर्ष इंडियन ग्रां प्री का आयोजन किया जायेगा।
भारतीय ऑटो वर्ल्ड पर पड़ सकता है इस फैसले का असर:
भारतीय ऑटोमोबाइल जगत, जिसे आगामी भविष्य 2020 तक दुनिया के टॉप लीडिंग ऑटो मार्केट के रूप में देखे जाने के कयास लगाये जा रहें हैं। इंडियन ग्रां प्री के आयोजन पर लटके तलवार ने देश के ऑटो वर्ल्ड पर भी कुछ सवालिया निसान छोड़ दिया है। आपको बता दें कि, भारतीय बाजार में लग्जरी और हैवी सीसी की इंजन क्षमता से लबरेज कारों की मांग में तेजी से इजाफा देखने को मिल रहा है।
शायद यही कारण है कि दुनिया भर के स्पोर्ट और लग्जरी वाहन निर्माताओं की नजरें देश की सड़को पर आ गड़ी हैं। बीते इंडियन ग्रां प्री के बाद ही देश में फेरारी, लेम्बोर्गिनी जैसे कार निर्माताओं ने अपने सफर की शुरूआत की। इसके अलावा जर्मनी की मशहूर कार निर्माता कंपनी मर्सडीज बेंज ने हाल ही में अपने एएमजी, सीरीज की स्पोर्ट कार को इसी ट्रैक पर लॉन्च किया है। महज दो वर्षो के भीतर ही बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट, ऑडी, बीमएडब्लू और मर्सडीज बेंज की बेहतरीन लग्जरी कारों की लॉन्च का गवाह बन चुका है।
ऐसे में यदि यह ट्रैक सूना हो जाता है जो निश्चय ही देश में सुपरकारों के फर्राटा भरने का सपना, एक दिवा स्वपन मात्र रह जायेगा। वाहन निर्माताओं को विश्वास था कि जिस प्रकार भारत में स्पीड, लग्जरी और हैवी सीसी की क्षमता का क्रेज बढ़ रहा है उसमें एफ-1 रेस एक बेहतरीन योगदान साबित होगा। खैर जो भी हो अभी मामला बिगड़ा नहीं है, एक्लेस्टोन के बयान के बयान को मद्देनजर रखते हुये देश की सरकार को भी थोड़ी नरमी जरूर दिखानी चाहिये, साथ ही क्या हैं वो सियासी खेल जिसके चलते रफ्तार की जंग में रुकावट आ रही है इसका पता लगाना भी सरकार की जिम्मेदारी है। हम उम्मीद करते हैं कि इंडियन ग्रां प्री इस रेस का हिस्सा जरूर बनेगी।