कांस्य पदक जीतने के बाद योगेश्वर ने कहा कि मैं बहुत खुश हूं , मेरा सपना सच हो गया है। बीजिंग ओलंपिक में कुछ अंकों के अन्तर से मैं पदक जीतने में कामयाब नहीं हो सका था, लेकिन मुझे यकीन था कि इस बार पदक जरूर जीतूंगा। योगेश्वर ने यह पदक अपने स्वर्गीय पिता को समर्पित किया।
योगेश्वर ने मीडिया से बातचीत में बताया कि एशियन गेम्स 2006 के सिर्फ दो दिन पहले ही पिता का देहान्त हो जाने से मैं बेहद निराश हो गया था लेकिन मैंने दोहा में पदक जीता। आज अगर मैं कुश्ती में हूं तो इसका श्रेय मेरे पिता को जाता है वह मुझे ओलंपिक पदक जीतते हुए देखना चाहते थे। बीजिंग ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल में अन्तिम कुछ क्षणों में मैं पदक जीतने से चूक गया था वो हार मुझे आज भी परेशान करती है।
योगेश्वर की जीत की सफलता पर खेल मंत्री अजय माकन ने ट्वीट किया है कि उसने काफी कड़ी मेहनत की, वह इस सफल के योग्य है। भारत ने अब तक चार खेलों में पांच पदक जीते हैं और हमें उम्मीद है कि इस बार सुशील कुमार भी हमारे लिए पदक ज़रूर जीतेंगे।
यह कुश्ती में भारत के लिए तीसरा पदक है इसके पहले के डी जाधव (हेल्सिंकी ओलंपिक 1952 में कांस्य पदक) और सुशील कुमार (बीजिंग ओलंपिक 2008 में कांस्य पदक)ने जीता था।