नई दिल्ली। अगर जुनून हो कुछ कर गुजर जाने की तो फिर बड़ी-बड़ी मुश्किलें भी अपना रास्ता बदलती दिखती हैं। 2003 में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप (पेरिस) में कांस्य पदक जीतकर भारतीय खेलों में इतिहास रचने वाली ओलंपियन अंजू बॉबी पर यह बात एकदम सटीक बैठती है, जिन्होंने एक किडनी के सहारे सफलता हासिल की थी। जी हां, अंजू ने 2003 में जब कांस्य पदक जीता था तो उन्हें एक ही किडनी का सहरा था।
आईएएएफ विश्व एथलेटिक्स फाइनल्स (मोनाको 2005) की स्वर्ण पदक विजेता लंबी कूद की इस स्टार एथलीट ने यह भी खुलासा किया कि उन्हें दर्द निवारक दवाईयों से भी एलर्जी थी और ऐसी तमाम बाधाओं के बावजूद वह शिखर पर पहुंची। अंजू ने ट्वीट करते हुए कहा, 'मानो या न मानो, मैं उन भाग्यशाली लोगों में से एक हूं जो जो एक किडनी के सहारे शिखर पर पहुंची हूं। यहां तक कि मुझे दर्द निवारक दवाईयों से एलर्जी थी। दौड़ शुरू करने के दाैरान मेरा आगे वाला पांव सही काम नहीं करता था। कई मुश्किलें थी, लेकिन तब भी मैंने सफलताएं हासिल की। क्या हम इसे कोच का जादू या उनकी प्रतिभा कह सकते हैं।'
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Believe it or not, I'm one of the fortunate, among very few who reached the world top with a single KIDNEY, allergic with even a painkiller, with a dead takeoff leg.. Many limitations. still made it. Can we call, magic of a coach or his talent @KirenRijiju @afiindia @Media_SAI pic.twitter.com/2kbXoH61BX
— Anju Bobby George (@anjubobbygeorg1) December 7, 2020
बता दें कि अंजू ने अपने पति राबर्ट बॉबी जॉर्ज से कोचिंग ली थी। इसके बाद उन्होंने कामयाबियां हासिल की थीं। अंजू के ट्वीट पर केंद्रीय खेल मंत्री किरेन रिजिजू ने भी प्रतिक्रिया दी थी। खेल मंत्री ने कहा, 'अंजू भारत का मान बढ़ाने के लिए यह आपकी कड़ी मेहनत, धैर्य और प्रतिबद्धता थी, जिसमें समर्पित कोच और पूरी तकनीकी टीम का सहयोग भी रहा।' अंजू ओलंपिक खेल 2004 में छठे स्थान पर रही थी। उस दाैरान उन्होंने 6.83 मीटर लंबी छालांग लगाई थी, लेकिन अमेरिका की मरियन जोन्स को डोपिंग आरोपों के कारण अयोग्य घोषित किये जाने के बाद अंजू को 2007 में पांचवां स्थान हासिल हो गया था।