टोक्यो। भारत के लिए सुशीला देवी जूडो में भाग लेने वाली इकलाैती खिलाड़ी हैं, जिन्हें पहले ही मुकाबले में हार का सामना करना पड़ा है। टोक्यो 2020 की महिला जूडो के 48 किग्रा वर्ग में सुशीला देवी एलिमिनेशन राउंड ऑफ 32 के मुकाबले में हंगरी की इवा सेरनोविस्की से हारी। सुशीला 2.40 मिनट की भिड़ंत में हारकर बाहर हो गई हैं। यह मुकाबला सुशीला के लिए मुश्किल था, क्योंकि सेरनोविस्की लंदन ओलंपिक 2012 की कांस्य पदक विजेता रह चुकी हैं।
सुशीला मणिपुर की रहने वाली हैं, जिन्होंने कॉन्टिनेंटल कोटा के दम पर टोक्यो ओलिंपिक में जगह बनाई थी। उनका ओलंपिक में खेलने का सपना तो सच हो गया, लेकिन वह इसे यादगार नहीं बना सकीं। सुशीला बचपन में अपने भाई सिलाक्षी के साथ जूडो अदादमी जाया करती थीं। तैयारी करने के लिए दोनों सुबह साढ़े पांच बजे उठते थे। अकादमी तक पहुंचने का रास्ता आधे घंटा था, जहां दोनों कई बार बारिश, धुंध से निपटते हुए जूडो अकादमी पहुंचते थे। दोनों साइकिल पर सवाल होकर आते थे।
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हालांकि, सुशीला को मुश्किल समय में हाैसला देने वाले मौजूदा कोच और अर्जुन अवॉर्डी जीवन कुमार शर्मा ही थे, जिनसे सुशीला की मुलाकात 2009 में हुई थी। जीवन ने सुशीला को खेल जारी रखने के लिए लगातार प्रेरित किया था। यहां तक कि उन्होंने सुशीला का कई बार खर्चा भी उठाया। आखिर में मेहनत रंग लाई और सुशीला पहले जूनियर और फिर सीनियर लेवल पर मेडल जीतने लगीं। 2014 में वह ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा लेने पहुंचीं और वहां सिल्वर मेडल जीता. लेकिन उस समय भी किसी ने नहीं सोचा था कि एक दिन वह ओलिंपिक पहुंच जाएंगी।