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समाप्त हुई AFI की बड़ी खोज, भाला फेंक खिलाड़ियों को मिलेगा फायदा

नई दिल्ली। लगभग ढाई साल बाद भारत के भाला फेंक खिलाड़ियों की अहम खोज समाप्त हो चुकी है। दरअसल, भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (एएफआई) ने आखिरकार क्राफ्ट ट्रेनिंग गेराट (केटीजी) को खरीदने में कामयाबी हासिल कर ली है। यह एक विशेष 'स्ट्रेंथ-बिल्डिंग' मशीन है, जो एनआईएस पटियाला में लगाई है। यह मशीन चीन से खरीदी गई है।

एएफआई ने बयान जारी करते हुए कहा, ''जर्मनी और चीन के बाद भाला फेंक खिलाड़ियों की सट्रेंथ और रफ्तार बढ़ाने में मदद के लिए विशेष मशीन हासिल करने वाला भारत तीसरा देश बन गया है। '' अब कईयों के मन में सवाल होगा कि यह केटीजी मशीन क्या है, तो इसका फायदा यह है कि इससे भाला फेंक एथलीट अपनी मजबूती और रफ्तार बढ़ा सकेंगे। इससे उन्हें चोट के काफी कम जोखिम रहते हैं। साथ ही भाले को सही दिशा में भेजने में मदद मिलेगी।

होन, जो 100 मीटर से अधिक की भाला फेंकने वाले एकमात्र व्यक्ति हैं, ने 1980 के दशक की शुरुआत में केटीजी के साथ ट्रेनिंग की थी। और बार्टोनिट्ज उस टीम का हिस्सा थे जिसने सरल लेकिन प्रभावी उपकरण विकसित किया था। ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुके नीरज चोपड़ा और शिवपाल सिंह को इस नई मशीन का फायदा मिलेगा। खिलाड़ी मेडल ला सकें, इसी के लिए उन्हें पूरी तैयारी एएफआई द्वारा करवाई जा रही है। जर्मनी में केटीजी निर्माता एक ऑलमैन्सवीयर आधारित निर्माण कंपनी ने उपकरण भेजने में अपनी असमर्थता व्यक्त की। एफआई के मुख्य राष्ट्रीय कोच राधाकृष्णन नायर ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ''उन्होंने हमें सूचित किया कि वे इसका व्यावसायिक रूप से उत्पादन नहीं कर रहे हैं और इसलिए हमें इसकी आपूर्ति करने में असमर्थ हैं। जर्मन कंपनी इस मशीन का उत्पादन केवल अपने एथलीटों के लिए करती है।''

सबूत जुटाने के लिए सुशील कुमार को हरिद्वार ले गई क्राइम ब्रांच की टीमसबूत जुटाने के लिए सुशील कुमार को हरिद्वार ले गई क्राइम ब्रांच की टीम

AFI ने दूसरे निर्माता का पता लगाने के लिए 2019 की शुरुआत में दुनिया भर में खोज शुरू की। अंत में, चीन के एथलेटिक्स महासंघ के आह्वान के परिणामस्वरूप एक सफलता मिली। कॉल और ईमेल के बाद, चीन के शेडोंग प्रांत की राजधानी जिनान में स्थित टीएच स्पोर्ट्स, केटीजी के अपने संस्करण के साथ भारतीयों की मदद करने के लिए सहमत हो गया। नायर ने कहा, "हम दिसंबर 2018 से इस पर नजर रख रहे थे। हमें आखिरकार एक कंपनी मिल गई, लेकिन फिर चीन में लाॅकडाउन लग गया और जिस क्षेत्र में इसका निर्माण होता है वह एक नियंत्रण क्षेत्र बन गया। इसलिए वे इसे बंदरगाह तक नहीं ले जा सके। अंत में, उन्होंने इसे फरवरी 2021 के आसपास भेज दिया।"

एएफआई के अध्यक्ष आदिले सुमरिवाला ने कहा कि हालांकि ओलंपिक में दो महीने से भी कम समय बचा है, लेकिन एनआईएस में मशीनों की स्थापना से भारतीय खिलाड़ियों को मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, "मुझे खुशी है कि हमारे एथलीटों को इसका उपयोग करके सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षण मिलेगा। इन मशीनों को महामारी के कारण बड़ी मुश्किल से आयात किया गया है।''

Story first published: Monday, May 31, 2021, 11:45 [IST]
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