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कभी नहीं हारा ये भारतीय रेसलर, 1200 किलो का पत्थर उठाकर मचाया था तहलका

नई दिल्ली। आपने रेसलिंग की दुनिया में कई बड़े-बड़े रेसलरों के बारे में सुना होगा। इनमें से द अंडरटेकर, जाॅन सीना और ग्रेट खली जैसों के नाम हैं जो पलक झपकते ही विरोधी रैसलर को चित्त करने में माद्दा रखते हैं। लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि दुनिया का एक रेसलर ऐसा भी है जो अपने करियर में एक बार भी नहीं हारा । यह रेसलर कोई और नहीं बल्कि पंजाब के अमृतसर में जन्मा गुलाम मोहम्मद बक्श बट है। उन्हें 'गामा' पहलवान के नाम से पुकारा जाता था जिसने देश-विदेश के कई रैसलरों को धूल चटाई।

पहली कुश्ती में ढेर किए थे 400 रेसलर

पहली कुश्ती में ढेर किए थे 400 रेसलर

22 मई, 1878 को जन्मे गामा ने अपने 52 साल के रेसलिंग करियर में कभी भी हार का सामना नहीं किया। गामा ने जब पहली कुश्ती लड़ी तो उन्होंने 400 पहलवानों को मात देकर नाम चमकाया था। उस दाैरान उनकी उम्र 10 साल के आस-पास थी। राजस्थान के जोधपुर के राजा मिस्टर इंडिया चुनने के लिए प्रतियोगिता करवाते थे। उन्होंने प्रतियोगिता के जरिए यह देखना था कि आखिर काैन सा इंसान सबसे ताकतवर है, इसलिए उन्होंने 400 रेसलरों की कुश्ती करवाई जिसमें गामा ने भी भाग लिया। देश-विदेश के रेसलर यहां आए। टाॅप 15 में गामा का नाम शामिल हुआ। यह देख जोधपुर के राजा हैरान हुए कि आखिर कैसे एक छोटी उम्र का लड़का सबको मात दे रहा है। देखते ही देखते गामा ने सबको हरा दिया और प्रतियोगिता अपने नाम कर ली। इसके बाद दुनियाभार में गामा का नाम बजने लगा।

1200 किलो का पत्थर उठाकर मचाया था तहलका

1200 किलो का पत्थर उठाकर मचाया था तहलका

साल 1902 में गामा ने पूरी दुनिया को अपनी ताकत दिखाई। उन्होंने वड़ोदरा में 1200 किलो का पत्थर उठाकर तहलका मचा दिया। आज भी वो पत्थर वडोदरा म्यूजिम में रखा हुआ है। दरअसल ग्रेट गामा एक रेसलिंग कम्पीटिशन में हिस्सा लेने के लिए वडोदरा गए थे, जहां उन्होंने 23 दिसंबर, 1902 को ये कारनामा किया। गामा पहलवान जब दंड लगाया करता था, अपने गले में एक वेट डिस्क डाल कर करता था। उस वेट डिस्क का वज़न 95 किलो है और ये डिस्क पहन कर वो 5000 दंड बैठक करता था।

गामा के एक वार से बेहोश हो गया था रेसलर

गामा के एक वार से बेहोश हो गया था रेसलर

गामा ने जब भारी वजन का पत्थर उठाकर दुनियाभर में अपनी पहचान बनाई तो उन्हें बड़ी-बड़ी प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए बुलाया जाने लगा। 10 सितंबर 1910 लंदन के रेसलर स्टेनिस्लास जबिस्को के साथ गामा का मैच फिक्स हुआ। इस मुकाबले को जीतने वाले को 250 पाउंड्स के साथ 'जॉन बुल बेल्ट' भी मिलने वाली थी। ये बेल्ट मिलने का मतलब था वर्ल्ड चैंपियन बन जाना। मैच शुरू होते ही गामा न जबिस्को को नीचे पटक दिया। इसके बाज जबिस्को बेहोश हो गए और फिर उठ नहीं सके। मैच का नतीजा आना बाकी था। ऐसे में रेफरी ने मैच आगे रख दिया। ठीक इसके 7 दिन बाद दोनों का मुकाबला रखा गया, लेकिन जबिस्को नहीं आए। शायद उन्हें पता लग गया था कि गामा को हराना मुश्किल हैं। इसके बाद रेफरी ने गामा को विजयी घोषित कर दिया। 1947 में बंटवारे के बाद गामा सिंह पाकिस्तान जा बसे। लंबी बीमारी से जूझते हुए उन्होंने 23 मई 1960 को दुनिया को अलविदा कह दिया।

Story first published: Wednesday, February 13, 2019, 17:29 [IST]
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