टोक्यो: रेसलिंग की भारत की बड़ी उम्मीद बजरंग पुनिया ने कांस्य पदक मैच में उम्मीदों पर पूरी तरह खरा उतरते हुए भारत को ओलंपिक 2020 का छठा मेडल दिया दिया। बजरंग की फॉर्म गजब की थी और उन्होंने विपक्षी को कोई मौका ना देते हुए यह मैच 8-0 से जीत लिया। इसके साथ ही भारत ने लंदन ओलंपिक के मेडल रिकॉर्ड की बराबरी कर ली है, तब 2012 में भी देश को छह पदक मिले थे।
65 क्रिग्रा फ्रीस्टाइल रेसलिंग के दूसरे कांस्य पदक के लिए बजरंग पुनिया का मुकाबला कजाकिस्तान के पहलवान दौलेट नियाजबेकोव से हुआ। सेमीफाइनल मुकाबले में दौड़कर अपने मंच में पहुंचे पुनिया इस बार शांत-स्थिर होकर रेसलिंग मेट पर आए। पुनिया की बॉडी लैग्वेज सेमीफाइनल मुकाबले की तुलना में इस बार अलग थी, उन्होंने चपलता दिखाई और अटैकिंग मोड ऑन रखा।
पहला और दूसरा मिनट बिना किसी अंक के निकल गया और फिर मैच का पहला प्वाइंट भारत के खाते में आया। पहले राउंड का अंत आते-आते बजरंग बहुत एक्टिव हो चुके थे और उन्होंने एक और अंक लेकर भारत को पहले राउंड की समाप्ति पर 2-0 से आगे कर दिया।
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दूसरा और अंतिम राउंड आते-आते बजरंग और भी कॉन्फिडेंस में थे, उन्होंने बेहतरीन डिफेंस भी दिखाया। 2 मिनट का मैच रहते हुए भी मुकाबला पूरी तरह बैलेंस था लेकिन बजरंग ने फिर विरोधी को उल्टा लिटाकर दो और अंक बटोर लिए। इसके बाद दो और अंक आए और यहां से भारत का एक और मेडल पक्का दिखने लगा। बजरंग की सुपर फॉर्म देखने लायक थी और देखते ही देखते स्कोर 8-0 हो गया। अब केवल औपचारिकता बची थी और भारत अपना छठा मेडल हासिल करने में कामयाब रहा।
बजरंग का ओलंपिक 2020 में सफर ऐसा रहा-
टोक्यो ओलंपिक में बजरंग के अभियान की शुरुआत बहुत खास नहीं हुई थी, उन्होंने 1/8 में किर्गिस्तान के एर्नाजर अकमातालिव से तकनीकी आधार पर जीत दर्ज की, जबकि अंकों के आधार पर यह मैच 3-3 से बराबर रहा। लेकिन उन्होंने अगले दौर में ईरानी मुर्तजा घियासी चेका को पिन करके सेमीफाइनल में जगह बनाई।
कुश्ती में भारत के पदक की सबसे बड़ी उम्मीद बजरंग पुनिया सेमीफाइनल में अजरबैजान के हाजी अलीयेव से भिड़े थे। 65 किग्रा फ्रीस्टाइल के अंतिम चार मुकाबले में बजरंग को 5-12 से हार का सामना करना पड़ा था।
जहां तक रेसलिंग में भारत के ओवरऑल ओलंपिक अभियान की बात है तो एक सिल्वर मेडल रवि कुमार दहिया के नाम हो चुका है। हरियाणा के ही दीपक पुनिया भी कांस्य पदक मुकाबले में मेडल के काफी करीब पहुंचकर हार गए थे। उनको अंतिम सेकेंडों में अपनी लीड गंवानी पड़ी, अन्यथा यह भारत के लिए और बेहतर रेसलिंग अभियान हो सकता था। इसके अलावा विनेश फोगाट से बड़ा नाम होने के बावजूद फिर से निराश किया।