मैं गोल्ड मेडल के बारे में नहीं सोच रहा था- नीरज चोपड़ा
यह टोक्यो ओलंपिक में भारत का सातवां मेडल था इसके साथ ही भारत ने अपने पूरे ओलंपिक इतिहास में सबसे ज्यादा मेडल जीतने का भी रिकॉर्ड बनाया। इससे पहले लंदन ओलंपिक 2012 में भारत ने 6 मेडल जीते थे, लेकिन तब एक भी गोल्ड नहीं आया था और इस बार ना केवल 6 का रिकॉर्ड टूटा बल्कि एक गोल्ड भी आया और वह भी एथलेटिक्स में। एथलेटिक्स में इससे पहले भारतीय ओलंपिक में कोई भी गोल्ड नहीं आया था।
इस ऐतिहासिक जीत के बाद जब पोडियम पर राष्ट्रीय गान बज रहा था तो नीरज लगभग रोने वाले थे। नीरज ने मीडिया से बताया है कि वह गोल्ड मेडल के बारे में सोच नहीं रहे थे। वे भाला फेंक प्रतियोगिता के फाइनल में कुछ हटकर, कुछ अलग करने की सोच रहे थे जो खास हो।
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मिल्खा सिंह, पीटी उषा को समर्पित किया मेडल-
नीरज की तरह कई भारतीयों ने भी नहीं सोचा था कि यह खास क्षण गोल्ड मेडल के रूप में आएगा। हम सबको नीरज से मेडल की निश्चित तौर पर उम्मीद थी पर यह गोल्ड होगा इस बात ने साबित कर दिया कि नीरज का कद आज कितना ऊंचा हो चुका है। नीरज ने मीडिया से बात करते हुए बताया, "मैंने गोल्ड मेडल के बारे में नहीं सोचा। आज कुछ अलग करना था। मैं ओलंपिक रिकॉर्ड तोड़ना चाहता था और मैंने इसके लिए बहुत प्रयास किया।"
नीरज ने अपना गोल्ड मेडल भारत के महान एथलीट और पूर्व धावक मिल्खा सिंह के नाम किया है, और कहा है कि वे मिल्खा सिंह से व्यक्तिगत तौर पर मिलते और मेडल साथ लेकर जाते। मिल्खा सिंह का हाल ही में निधन हो गया था। उनको कोविड-19 ने अपनी चपेट में ले लिया था। मिल्खा सिंह का यह सपना था कि ट्रैक एंड फील्ड में कोई ऐसा भारतीय एथलीट जरूर पैदा हो जो एक मेडल जीत कर ले आए।
राष्ट्रगान जब बचा, तब रोने वाले थे नीरज-
आज सिंह यह दिन देखने के लिए तो हमारे बीच मौजूद नहीं है लेकिन उनकी आत्मा जहां भी होगी वह बहुत गर्व और शांति महसूस कर रही होगी।
इसके अलावा नीरज इस गोल्ड मेडल को भारत की पूर्व उड़न परी पीटी उषा के नाम भी किया है और उन सभी भारतीय एथलीट के नाम किया है जो ओलंपिक मेडल जीतने के करीब पहुंचे। नीरज ने बताया जब राष्ट्रगान बज रहा था तब वह अपने आप को संभाल नहीं पाए और रोने वाले थे। कैमरों की नजरें नीरज पर थी, उन्होंने भावनाओं के सैलाब को थामा। उनका कहना है जब राष्ट्रगान बज रहा था, तब लग रहा था मानों समूचा विश्व उमड़ आया हो।