पैरालंपिक्स से पहले दोबारा हुआ था विनोद का क्लासिफिकेशन
उल्लेखनीय है कि विनोद कुमार को साल 2019 में अंतर्राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति ने पहली बार 2 साल के लिये F52 कैटेगरी के लिये मान्यता दी थी, जिसके बाद विश्व पैराएथलेटिक चैम्पियनशिप में चौथे पायदान पर रहते हुए उन्होंने टोक्यो पैरालंपिक्स का टिकट कटाया था। हालांकि जब 2020 में पैरालंपिक खेलों को कोरोना वायरस के चलते टालना पड़ा तो आईपीसी की ओर से दी गई समयसीमा भी समाप्त हो गई।
ऐसे में जब पैरालंपिक्स खेलों का हिस्सा बनने से पहले उन्हें एक बार फिर से आईपीसी के सामने जाकर पुनर्वर्गीकरण कराना पड़ा। आईपीसी ने विनोद कुमार F52 के तहत वर्गीकृत किया जिसके बाद वो पैरालंपिक्स खेलों का हिस्सा बन पाये। हालांकि विनोद कुमार के ब्रॉन्ज मेडल जीतने पर एथलीट ने आपत्ति दर्ज कराई और रिजल्ट को होल्ड कर दिया गया।
भारतीय दल को पदक मिलने का विश्वास
हालांकि भारतीय दल को पूरा विश्वास है कि विनोद कुमार के खाते में ही डिस्कस थ्रो का ब्रॉन्ज मेडल आयेगा। भारतीय दल के डिप्टी चीफ कमीशन अर्हन बागाती ने न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए इस पर अपनी राय दी है।
उन्होंने कहा,'4 दिन पहले ही आईपीसी ने विनोद कुमार का क्लासिफिकेशन किया है। मैं इस प्रक्रिया के दौरान वहीं पर मौजूद था। 3 पैरालंपिक्स क्वालिफायर्स ने विनोद कुमार को F52 वर्ग में क्लासिफाई किया था और हमें पूरा भरोसा है कि पदक उन्ही के पास ही रहेगा। फिलहाल एक एथलीट के आपत्ति जताने पर रिजल्ट को क्लासिफिकेशन रिव्यू के चलते होल्ड पर डाल दिया गया है।'
जानें कैसा था विनोद का प्रदर्शन
गौरतलब है कि विनोद कुमार ने डिस्कस थ्रो इवेंट के अपने 6 प्रयासों में 17.46 मी, 18.32 मी, 17.80, 19.12 मी, 19.91 मी और 19.81 मीटर का थ्रो किया। पोलैंड के पियोट्र कोसेविक्स ने 20.02 मीटर का थ्रो फेंककर इस प्रतियोगिता का गोल्ड मेडल जीता था तो वहीं पर क्रोएशिया के वेलिमीर सैंडर ने 19.98 मी थ्रो कर सिल्वर अपने नाम किया।
आपको बता दें कि रविवार को पैरालंपिक खेलों में विनोद कुमार के अलावा निषाद कुमार ने हाई जंप और भवानी पटेल ने टेबल टेनिस में देश के लिये सिल्वर मेडल जीते हैं।