नीरज चोपड़ा और बिंद्रा के बीच कॉमन क्या है-
हालांकि उनके पास एक चीज अभी भी कॉमन है, वह है पूरी तरह से एकाग्र मन से अपने खेल में सबसे ऊंचा मुकाम हासिल करने का जज्बा। इन सब चीजों के अलावा उनके पास एक चीज और है जो कॉमन है वह है मनीषा मल्होत्रा। मनीषा जेएसडब्ल्यू स्पोर्ट्स में हेड ऑफ स्पोर्ट्स एक्सीलेंस एंड स्काउटिंग हैं। मनीष मनीषा ने अभिनव बिंद्रा और नीरज चोपड़ा दोनों के साथ काम किया है और उनको पता है कि इन दो चैंपियन खिलाड़ियों की क्या जरूरत थी और उनको अपनी तैयारी किस तरीके से करनी थी।
बिंद्रा और नीरज दोनों ही अपने सपनों को लेकर पूरी तरह से दृढ़ निश्चयी थे। मनीषा मल्होत्रा ने इंडिया टुडे के साथ बात की और बताया एक चीज जो अभिनव और नीरज में कॉमन है वह यह है कि उन्होंने अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए वह सब कुछ किया जो करना चाहिए था।
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दोनों ने ही जो ट्रेनिंग ली, वह बहुत जबरदस्त थी-
वे बताती हैं, "उन्होंने अपनी डाइट पर बहुत काम किया, बहुत जबरदस्त मेहनत की, एक्सरसाइज और अपनी फिटनेस पर बहुत काम किया। उन्होंने जो भी संभव था वह किया।"
वह बताती है कि इन दोनों खिलाड़ियों ने कुछ भी नहीं छोड़ा। जब खिलाड़ी इस तरह से ट्रेनिंग करते हैं तो उनके पास एक ऐसा आत्मविश्वास आ जाता है कि वह कुछ भी हासिल कर सकते हैं। मनीषा आगे कहती हैं, "आपके पास में संतुष्टि भी होती है और विश्वास होता है कि आप बहुत अच्छा प्रदर्शन करोगे क्योंकि ऐसा कुछ भी नहीं है जो आपने इस दुनिया में करने से छोड़ा हो। नीरज और बिंद्रा ने इतनी कठिन ट्रेनिंग ली, उनके पास गोल्ड मेडल जीतने का आत्मविश्वास था।"
फाइनल से पहले की रात बच्चे की तरह रिलेक्स सोए नीरज-
इसके बारे में नीरज चोपड़ा के पिता भी कह चुके हैं कि उनका बेटा बेटा बहुत कॉन्फिडेंट है और वह गोल्ड मेडल ही लेकर आएगा। नीरज के गोल्ड मेडल के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यह बात बता चुके हैं कि जब वे नीरज से मिले तो वह तब भी काफी आत्मविश्वास में थे। मनीषा इस बात को याद करती हैं कि कैसे वह एक मॉल में अभिनव बिंद्रा के साथ थीं और यह तब की बात है जब बिंद्रा का गोल्ड मेडल मैच अगले दिन था। वे कहती है कि अभिनव बिंद्रा एकदम रिलैक्स थे, उनके चेहरे पर कोई तनाव नहीं था। उसी तरीके से नीरज भी बिल्कुल रिलैक्स थे और वे अपनी फाइनल मुकाबले से पहले की रात को बच्चे की तरह से सोए।
यहां तक कि नीरज भी मेडल जीतने के बाद बता चुके हैं कि वह गोल्ड मेडल के बारे में सोच ही नहीं रहे थे बल्कि वे तो ओलंपिक रिकॉर्ड को तोड़ना चाहते थे। नीरज पहले ही देश में बहुत जाने में जाने-माने भाला फेंक खिलाड़ी हैं और उनसे पहले से ही पदक की उम्मीद थी। उन्होंने इतनी कठिन ट्रेनिंग ली और ओलंपिक से पहले इतने सारे इंटरनेशनल टूर्नामेंट खेले कि वह टोकियो पहुंचते-पहुंचते सातवें आसमान पर थे।
नीरज ने खुद बताया, मैं गोल्ड नहीं, उससे ऊपर सोच रहा था
नीरज चोपड़ा ने मीडिया को बताया है, "जो इंटरनेशनल कंपटीशन मैंने खेले ,वह बहुत महत्वपूर्ण थे। यहां तक कि ओलंपिक में भी मुझे ऐसा नहीं लगा कि मैं कुछ नया कर रहा हूं या फिर कोई बहुत बड़े-बड़े खिलाड़ियों के साथ खड़ा हूं, क्योंकि मैं पहले ही इन लोगों के साथ खेल चुका था और मुझे ज्यादा प्रेशर फील नहीं हो रहा था।"
बहरहाल यह भारतीय खेलों के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है क्योंकि एक सेंचुरी से भी ज्यादा समय भारत ने ट्रैक एंड फील्ड में मेडल जीतने के लिए संघर्ष किया है और नीरज ने अपने पहले अपने डेब्यू ओलंपिक में ही यह काम करके दिखा दिया।