तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
For Quick Alerts
ALLOW NOTIFICATIONS  
For Daily Alerts

इन ट्रक ड्राइवरों की मदद के बिना वेटलिफ्टर ना बन पाती मीराबाई चानू, सबको कराया लंच

नई दिल्लीः टोक्यो ओलंपिक में भारतीय लड़कियों की गौरव गाथा में एक बड़ा नाम है- मीराबाई चानू। इस ओलंपिक मे भारतीय लड़कियों का जो सफर रहा है उसकी शुरुआत मीराबाई चानू ने ही की थी। उन्होंने 24 जुलाई को वेटलिफ्टिंग में 49 किलोग्राम कैटेगरी में सिल्वर मेडल दिला कर अपने नाम के साथ भारत का डंका पूरी दुनिया में बजा दिया था।

मीराबाई चानू के लिए यह उपलब्धि हासिल करना आसान काम नहीं था। उनका गांव मणिपुर की राजधानी इंफाल में स्थित स्पोर्ट्स अकैडमी से 25 किलोमीटर दूर था। उनके पास इतने पैसे भी नहीं होते थे कि रोजाना आने जाने का खर्चा उठा सकें। ऐसे में स्टार वेटलिफ्टर ट्रकों में कई बार आया-जाया करती थी, ये ट्रक नदियों की रेत को इंफाल ले जाने का काम करते थे।

डेली अप-डाउन के पैसे नहीं थे, ट्रक में तय किया सफर-

डेली अप-डाउन के पैसे नहीं थे, ट्रक में तय किया सफर-

चानू के गांव के आसपास के ट्रक ड्राइवर कई सालों तक उनको ऐसी ही लिफ्ट देते रहे। खिलाड़ी के सफलता में कई ऐसे छोटे-छोटे रोल होते हैं जिनको हम नहीं जान पाते। जब एक इंसान कई लोगों के योगदान से सफल होता है तो वह उनका आभार व्यक्त करना भी नहीं भूलता है। गुरुवार को एक बार फिर ऐसा ही हुआ जब चानू ने इन ट्रक ड्राइवरों का आभार प्रकट किया। उन्होंने 150 के करीब ट्रक ड्राइवरों को ट्रीट दी है।

चानू ने इन ड्राइवरों को एक शर्ट दी, मणिपुरी स्कार्फ देने के साथ लंच कराया है। चानू तब भावुक थीं जब उन्होंने इन सभी ड्राइवरों के प्रति अपना आभार जताया। मीराबाई ने साफ कहा है कि अगर यह ड्राइवर लोग उनकी मदद ना करते तो वह यात्राएं ना कर पाती और आज एक वेटलिफ्टर ना होती, ना ही ओलंपिक मेडल जीतने का उनका सपना पूरा कभी नहीं हो पाता।

गोलकीपर सविता पुनिया के पिता ने कहा, 'उन लड़कों के मुंह पर तमाचा है मेरी बेटी का प्रदर्शन'

मेडल जीतने के बाद चानू ने दिखाई विनम्रता-

मेडल जीतने के बाद चानू ने दिखाई विनम्रता-

26 साल की वेटलिफ्टर ने स्नैच और क्लीन एंड जर्क प्रतियोगिता में क्रमशः 87 किलोग्राम व 115 किलोग्राम का वजन उठाया और उनको महिलाओं के 49 किलोग्राम कैटेगरी में कुल 202 किलो वजन उठाने के चलते सिल्वर मेडल दिया गया जो कि भारत की पहली वेटलिफ्टर मेडलिस्ट कर्णम मल्लेश्वरी से बेहतर था।

मीराबाई चानू के अलावा भारत 4 पदक और जीत चुका है जिसमें केवल पहलवान रवि कुमार दहिया ही सिल्वर जीतने में कामयाब रहे है।

ओलंपिक इवेंट से 2 दिन पहले कुछ नहीं खाया था-

ओलंपिक इवेंट से 2 दिन पहले कुछ नहीं खाया था-

मीराबाई बता चुकी हैं कि उनको अपनी यात्रा में कितनी तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा। उन्होंने एनडीटीवी के साथ बातचीत में बताया भी था कि मैंने अपने जीवन में कई तरह के त्याग किए तब जाकर मैं यहां पर पहुंच पाई हूं। उन्होंने कहा था एक बड़ा खिलाड़ी बनने के लिए आपको बलिदान करना पड़ता है, और मैंने भी कई तरह के त्याग किए हैं।

चानू ने यह भी बताया था कि टोक्यो ओलंपिक में अपने कंपटीशन के दिन से 2 दिन पहले उन्होंने कुछ भी नहीं खाया था। वे अपने वजन को लेकर चिंतित थी और इस चक्कर में खाने को हाथ नहीं लगा पाई। उनका कहना है, वजन को मेंटेन रखना बड़ा मुश्किल होता है, हम लोगों को अपनी डाइट बहुत ही अनुशासित रखनी पड़ती है ताकि अपने भार वर्ग में मेंटेन रह सके।

Story first published: Friday, August 6, 2021, 14:23 [IST]
Other articles published on Aug 6, 2021
POLLS
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Yes No
Settings X